अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर महाराष्ट्र सदन में योगाभ्यास का आयोजन
महाराष्ट्र सदन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय आयुष मंत्री ने योग के महत्व को उजागर किया। कार्यक्रम में विभिन्न योग आसनों का अभ्यास किया गया और प्रतिभागियों ने योग को जीवनशैली का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, जिन्होंने योग के लाभों पर चर्चा की। जानें इस विशेष दिन के बारे में और कैसे योग ने एक वैश्विक आंदोलन का रूप लिया है।
Jun 21, 2025, 14:30 IST
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योग का महत्व और आयोजन
नई दिल्ली। महाराष्ट्र सदन के बैंक्वेट हॉल में उत्साहपूर्वक ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया गया। इस अवसर पर केंद्रीय आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने महाराष्ट्र सूचनाकेंद्र को अपने संदेश में योग के महत्व को उजागर करते हुए कहा, “योग भारत का एक प्राचीन उपहार है, जो शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से योगाभ्यास अब एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है। आइए हम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य योग’ की अवधारणा के तहत योग का प्रचार करें और ‘फिट इंडिया’ और ‘स्वस्थ भारत’ के संकल्प को साकार करें।”
योगाभ्यास सत्र का विवरण
महाराष्ट्र सदन में आयोजित योगाभ्यास सत्र में रेजिडेंट कमिश्नर और सचिव आर. विमला ने कहा, “प्रतिदिन केवल पांच मिनट का योगाभ्यास मन और शरीर को स्वस्थ रखता है, साथ ही आपको तरोताजा और प्रफुल्लित भी करता है। योग को जीवनशैली का एक अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए। नियमित योगाभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे व्यक्ति अपनी दैनिक जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभा सकता है।”
योग प्रदर्शन और भागीदारी
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान की प्रशिक्षक निशा चंद ने योग के महत्व को समझाया और विभिन्न प्रदर्शन प्रस्तुत किए। सहायक स्थानिक आयुक्त स्मिता शेलार, सूचना अधिकारी अंजू निमसरकर, प्रबंधक प्रमोद कोलपटे, सहायक सुरक्षा अधिकारी अनिल चोरगे, महाराष्ट्र सदन और महाराष्ट्र परिचय केंद्र के कर्मचारियों के साथ-साथ सुरक्षा कर्मियों ने भी इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाग लिया।
योग सत्र की गतिविधियाँ
कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक 'ॐ' के उच्चारण के साथ प्रार्थना से हुई। सूक्ष्म व्यायामों में गर्दन, कमर और घुटनों की गति शामिल थी। योग सत्र में ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, त्रिकोणासन, भद्रासन, वज्रासन, शशांकासन, मकरासन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन और शवासन का अभ्यास किया गया। प्राणायाम सत्र में कपालभाति, नाड़ीशोधन, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम और ध्यान मुद्रा शामिल थे।