अंडमान में प्राकृतिक गैस की खोज: भारत की ऊर्जा सुरक्षा को नया आयाम

अंडमान सागर में मिली ऊर्जा का खजाना

अंडमान सागर बदल सकता है भारतीय एनर्जी की तस्वीरImage Credit source: gemini
हाल ही में अंडमान के गहरे समुद्र से भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण और उत्साहजनक समाचार आया है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसे "ऊर्जा के अवसरों का महासागर" करार दिया है। उन्होंने इस खोज से संबंधित एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि "भारत की ऊर्जा कहानी में एक नया अध्याय जुड़ गया है।" अंडमान तट से लगभग 17 किलोमीटर दूर, समुद्र की गहराई में 2,650 मीटर नीचे एक बड़ा प्राकृतिक गैस भंडार मिला है।
प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि इस गैस में लगभग 87% मीथेन है, जो इसे एक साफ, प्रभावी और उच्च गुणवत्ता वाला ईंधन बनाता है। यह खोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊर्जा सुरक्षा और ऑफशोर एक्सप्लोरेशन के दृष्टिकोण को मजबूत करती है। अंडमान बेसिन अब भारत के अगले बड़े ऑफशोर ऊर्जा क्षेत्र के रूप में उभर रहा है।
A new chapter in Indias energy story unfolds.
Major natural gas reserve discovered 17 km off the Andaman coast at 2,650 m depth.Preliminary studies show gas with ~87% methane – clean, efficient & high-quality.
Aligned with PM @narendramodi jis vision, this discovery adds pic.twitter.com/tZaXKOgiPJ— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) October 14, 2025
प्राकृतिक गैस का अनमोल खजाना
अंडमान द्वीप समूह के तट से कुछ किलोमीटर दूर प्राकृतिक गैस का एक विशाल भंडार खोजा गया है, जिसने भारत की ऊर्जा सुरक्षा की उम्मीदों को नए पंख लगा दिए हैं। यह सफलता सरकारी महारत्न कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड (IOL) के हाथ लगी है।
कंपनी ने अंडमान के शैलो ऑफशोर ब्लॉक में अपनी दूसरी ही कोशिश में यह कामयाबी हासिल की। यह खोज अंडमान द्वीप समूह के पूर्वी तट से लगभग 17 किलोमीटर दूर समुद्र में की गई, जहां पानी की गहराई 295 मीटर है। OIL के इंजीनियरों ने 2,650 मीटर की लक्षित गहराई तक ड्रिलिंग की, और 2,212 से 2,250 मीटर के बीच उन्हें प्राकृतिक गैस का यह अनमोल खजाना मिला।
शुरुआती जांच में जो गैस के सैंपल मिले हैं, उनमें लगभग 87% मीथेन पाई गई है, जिसे ऊर्जा का एक बेहद साफ और उच्च गुणवत्ता वाला स्रोत माना जाता है। इस खोज को बेसिन की हाइड्रोकार्बन क्षमता को समझने की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
क्यों है यह खोज इतनी खास?
यह पहला मौका है जब अंडमान बेसिन में प्राकृतिक गैस की मौजूदगी की आधिकारिक तौर पर पुष्टि हुई है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसकी तुलना दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना के तेल क्षेत्र से की है, जिसने उस छोटे से देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया था। पुरी का मानना है कि अंडमान की यह खोज भारत के लिए भी वैसी ही परिवर्तनकारी साबित हो सकती है।
यह खोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी "नेशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन" का भी एक अहम हिस्सा है, जिसका ऐलान उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर किया था। इस सफलता के बाद पेट्रोब्रास, बीपी, शेल और एक्सॉनमोबिल जैसी दुनिया की बड़ी ऊर्जा कंपनियों की भी भारत में दिलचस्पी बढ़ेगी।
आधी ऊर्जा जरूरत होगी पूरी
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी रिस्टाड एनर्जी के अनुसार, अंडमान बेसिन में भारत की 50% ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की क्षमता हो सकती है। एजेंसी के एशिया-प्रशांत रिसर्च हेड प्रतीक पांडे ने बताया कि सीस्मिक सर्वे के शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में 307 से 370 मिलियन मीट्रिक टन तेल के बराबर हाइड्रोकार्बन छिपा हो सकता है।
यह आंकड़ा भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए एक बड़ी उम्मीद जगाता है। हालांकि, उन्होंने यह भी चेताया है कि इस तरह की खोज को व्यावसायिक उत्पादन तक लाने में एक दशक या उससे ज्यादा का समय लग सकता है। खोज से लेकर उत्पादन तक की प्रक्रिया काफी लंबी, जटिल और खर्चीली होती है, जिसमें कई तकनीकी और पर्यावरणीय मंजूरियों की जरूरत पड़ती है।
इस खोज से बदलेगी भारत की तस्वीर
आज भारत अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल और लगभग 44% प्राकृतिक गैस विदेशों से आयात करता है। इस पर हर साल अरबों डॉलर खर्च होते हैं। अगर अंडमान की यह खोज व्यावसायिक रूप से सफल होती है, तो यह आयात पर निर्भरता को काफी हद तक कम कर देगी, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। इसके अलावा, मीथेन कोयले और तेल की तुलना में एक स्वच्छ ईंधन है, जो भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद करेगा।
हरदीप सिंह पुरी ने यह भी कहा था कि गुयाना जैसी एक बड़ी खोज भारत की 3.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा सकती है। फिलहाल, ONGC और ऑयल इंडिया जैसी भारतीय कंपनियां शुरुआती ड्रिलिंग कर रही हैं और सरकार इस मिशन में विदेशी निवेशकों और तकनीकी भागीदारों को भी शामिल करने की तैयारी में है। आने वाले वर्षों में यह खोज रोजगार, निवेश और ऊर्जा सुरक्षा के मोर्चे पर एक बड़ा बदलाव ला सकती है।