अंकिता भंडारी हत्या मामले में कोर्ट का फैसला: तीनों आरोपी दोषी करार

अंकिता भंडारी हत्या मामले में आज कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही, पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया गया। इस मामले की सुनवाई लगभग 2 साल और 8 महीने तक चली, जिसमें 97 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। जानें इस जघन्य अपराध की पूरी कहानी और कोर्ट के निर्णय के पीछे की वजह।
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अंकिता भंडारी हत्या मामले में कोर्ट का फैसला: तीनों आरोपी दोषी करार

अंकिता भंडारी हत्या मामले का निर्णय

अंकिता भंडारी हत्या मामला: आज न्यायालय ने अंकिता भंडारी के हत्याकांड में तीनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी सरकार को दिया गया है।


इस मामले की सुनवाई लगभग 2 साल और 8 महीने तक चली। आज कोटद्वार कोर्ट के निर्णय पर सभी की निगाहें थीं। सुनवाई के दौरान कुल 97 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। आरोपियों में पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता शामिल हैं।


अंकिता भंडारी की हत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 19 वर्षीय अंकिता की हत्या का आरोप उस होटल के मालिक पर है, जहां वह काम करती थी। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमेश्वर ब्लॉक की निवासी अंकिता भंडारी की हत्या 18 सितंबर 2022 को की गई थी। वह यमकेश्वर ब्लॉक में वनतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थी, और यहीं से वह लापता हुई थी।


अंकिता भंडारी की हत्या का कारण


पुलिस के अनुसार, रिजॉर्ट के संचालक पुलकित आर्य ने अपने दो सहयोगियों के साथ मिलकर अंकिता को चीला नहर में धक्का देकर हत्या कर दी थी। जांच में यह बात सामने आई कि अंकिता ने रिजॉर्ट में ठहरे एक वीआईपी ग्राहक को अतिरिक्त सेवा देने से मना कर दिया था, जिसके चलते उसकी हत्या की गई। इस मामले में बीजेपी के पूर्व नेता का बेटा पुलकित आर्य और उसके दो साथी वर्तमान में जेल में हैं।


चिल्ला नहर से मिला शव


ऋषिकेश के निकट वनतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत अंकिता 18 सितंबर 2022 को लापता हो गई थी। उसके शव को पांच दिन बाद चिल्ला नहर से बरामद किया गया। मामले के उजागर होने के बाद, रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।


पुलकित आर्य पर आईपीसी की धारा 302, 201, 354ए और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे। मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, जिसने 500 से अधिक पन्नों की चार्जशीट पेश की। अभियोजन पक्ष ने 47 गवाहों को भी पेश किया था।