दुष्‍कर्म के आरोपी कर्नाटक के साधु जेल से छूटने के बाद बोले, 'मेरे लिए चुप रहना ही सबसे अच्छा'

बेंगलुरु, 16 नवंबर (आईएएनएस)। दुष्कर्म के आरोपी लिंगायत मठ के संत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू 14 महीने सलाखों के पीछे बिताने के बाद गुरुवार को जेल से बाहर आए। उन्होंने कहा कि वह फिलहाल इस मामले पर कुछ भी नहीं बोलना चाहते।
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दुष्‍कर्म के आरोपी कर्नाटक के साधु जेल से छूटने के बाद बोले, 'मेरे लिए चुप रहना ही सबसे अच्छा'

बेंगलुरु, 16 नवंबर (आईएएनएस)। दुष्‍कर्म के आरोपी लिंगायत मठ के संत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू 14 महीने सलाखों के पीछे बिताने के बाद गुरुवार को जेल से बाहर आए। उन्‍होंने कहा कि वह फिलहाल इस मामले पर कुछ भी नहीं बोलना चाहते।

चित्रदुर्ग जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता। मुझे चुप्पी ही सबसे अच्छी लगती है। वकील सभी सवालों का जवाब देंगे।"

जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने संत जयदेव गड्डुगे से मुलाकात की।

उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में उनका स्वागत किया और दावणगेरे के विरक्त मठ के सामने कतार में खड़े हुए।

साधु के खिलाफ मामले की पैरवी करने वाले एनजीओ ओडानाडी के संस्थापक एम.एल. परशुराम ने इस बीच कहा कि जांच अधिकारियों की गलतियों के कारण दुष्‍कर्म के आरोपी साधु को जमानत मिल गई।

उन्होंने कहा, "अगर मामले की जांच उच्चस्तरीय जांच एजेंसी द्वारा की गई होती, तो उन्हें इतनी जल्दी जमानत नहीं मिलती। आरोपी संत के पक्ष में लगाए गए नारों ने पीड़ितों, जो बच्चे हैं, में डर पैदा कर दिया है।"

एनजीओ ओडानाडी के सह-संस्थापक के.वी. स्टेनली ने कहा कि वे जमानत रद्द कराने के लिए कानूनी विकल्प तलाशेंगे।

उन्होंने कहा, "आरोपी संत की रिहाई के बाद नाबालिग पीड़ित डर में जी रहे हैं। हम उनमें ताकत और साहस पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।"

चित्रदुर्ग के ऐतिहासिक मुरुघा मठ के शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू को 14 महीने बाद गुरुवार को जेल से रिहा कर दिया गया।

उन्हें पिछले साल मुरुघा मठ द्वारा संचालित छात्रावास में रहने वाली नाबालिग लड़कियों से दुष्‍कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

प्रभावशाली लिंगायत संत ने चित्रदुर्ग जिला जेल में 14 महीने बिताए।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने 8 नवंबर को उन्हें सशर्त जमानत दे दी थी।

संत पर पॉकसो अधिनियम, आईपीसी धाराओं, किशोर न्याय अधिनियम, धार्मिक संस्थान (दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम आदि के तहत आरोप लगाए गए हैं।

उन्हें 1 सितंबर, 2022 को भारी नाटक के बाद गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने दुकर्म के आरोपी को सशर्त जमानत दे दी है।

न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आरोपी साधु को मठ के परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया और उसे अपना पासपोर्ट अदालत में जमा करने का भी निर्देश दिया।

उनसे दो जमानतदार उपलब्ध कराने को भी कहा गया।

--आईएएनएस

एसजीके