SIR प्रक्रिया: बिहार के बाद अन्य राज्यों में वोटर लिस्ट की जांच शुरू

चुनाव आयोग ने बिहार में सफल SIR प्रक्रिया के बाद अब अन्य राज्यों में भी इसे लागू करने का निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना है। 4 नवंबर 2025 से शुरू होने वाली इस प्रक्रिया में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है। जानें कि कैसे आप अपने नाम की स्थिति की जांच कर सकते हैं और यदि आपका नाम कट गया है तो उसे दोबारा कैसे जोड़ सकते हैं। इस बार प्रक्रिया में कई सुधार किए गए हैं, जिससे मतदाताओं को राहत मिलेगी।
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SIR प्रक्रिया: बिहार के बाद अन्य राज्यों में वोटर लिस्ट की जांच शुरू

SIR प्रक्रिया का विस्तार

SIR प्रक्रिया: बिहार के बाद अन्य राज्यों में वोटर लिस्ट की जांच शुरू

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के सफल संचालन के बाद, चुनाव आयोग ने अब देश के अन्य बारह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में इसी प्रक्रिया को लागू करने का निर्णय लिया है।

इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची की पुनरावृत्ति करना, उसमें मौजूद त्रुटियों को सुधारना और उन नामों को जोड़ना है जो किसी कारणवश छूट गए थे। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एक सटीक मतदाता सूची लोकतंत्र की नींव होती है। सही नामों का समावेश और गलत नामों का हटाना सुनिश्चित करता है कि आगामी चुनाव निष्पक्ष और विवाद-मुक्त हों।

विशेष गहन पुनरीक्षण 4 नवंबर 2025 से शुरू होगा और 7 फरवरी 2026 को समाप्त होगा, जब अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी। इसके पहले, 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक प्रिंटिंग और प्रशिक्षण का कार्य किया जाएगा। इस दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) और अन्य कर्मचारियों को वोटर लिस्ट में सुधार की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी जाएगी।


शामिल राज्यों की सूची

कौन-कौन से राज्य हैं शामिल

इस प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, गोवा, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इसके साथ ही पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप जैसे केंद्र शासित प्रदेश भी इस अभियान का हिस्सा हैं। इस बड़े अभियान को सफल बनाने के लिए पांच लाख से अधिक बूथ लेवल अधिकारियों और लगभग साढ़े सात लाख राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं की भूमिका तय की गई है।


नाम की स्थिति कैसे जांचें?

नाम कटा है या नहीं, कैसे पता करें?

यदि आप बिहार के मतदाता हैं और जानना चाहते हैं कि आपका नाम वोटर लिस्ट में है या नहीं, तो आप इसे ऑनलाइन जांच सकते हैं। इसके लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर अपना नाम या EPIC नंबर डालकर सर्च करें। इसके बाद अपना जिला और विधानसभा क्षेत्र चुनें। यदि इंटरनेट की सुविधा नहीं है, तो आप अपने बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से मिलकर या नजदीकी निर्वाचन कार्यालय जाकर ड्राफ्ट लिस्ट देख सकते हैं।


नाम कटने पर क्या करें?

वोटर लिस्ट से नाम कट गया है तो क्या करें?

यदि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान आपका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है, तो चिंता की कोई बात नहीं है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन योग्य मतदाताओं के नाम गलती से हटे हैं, वे दोबारा अपना नाम जोड़वा सकते हैं। इसके लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच आवेदन किया जा सकता है। नाम जोड़ने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके उपलब्ध हैं।

ऑनलाइन प्रक्रिया: यदि आप घर बैठे आवेदन करना चाहते हैं, तो NVSP पोर्टल या Voter Helpline App पर जाएं। वहां Form 6 उपलब्ध होगा, जिसे नए मतदाता बनने या नाम वापस जोड़ने के लिए भरा जाता है। इसमें अपनी मूल जानकारी भरकर आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें। फॉर्म सबमिट करने के बाद आपको एक आवेदन संख्या मिलेगी, जिससे आप अपने आवेदन की स्थिति देख सकते हैं;

ऑफलाइन प्रक्रिया: यदि आप ऑनलाइन आवेदन नहीं करना चाहते, तो अपने क्षेत्र के BLO के पास जाकर Form 6 प्राप्त करें। इसे भरकर जमा करें। BLO आपके दस्तावेजों को निर्वाचन अधिकारी तक भेज देगा। जांच पूरी होने के बाद आपका नाम दोबारा वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा।


बिहार के अनुभव से बदलाव

बिहार के अनुभव के बाद हुए बदलाव

बिहार में जब यह प्रक्रिया चलाई गई थी, तब दस्तावेजों को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। पहचान के लिए आधार कार्ड को शामिल नहीं किए जाने पर सवाल उठे थे। इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया, जिसने आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता दी। अब इस नई प्रक्रिया में आधार को स्वीकार किया जाएगा, जिससे नागरिकों को कोई असुविधा नहीं होगी। बिहार में यह प्रक्रिया लगभग ढाई महीने में पूरी हुई थी, लेकिन इस बार इसे तीन महीने से अधिक समय दिया गया है। चुनाव आयोग का मानना है कि अधिक समय देने से सत्यापन की प्रक्रिया बेहतर होगी।


दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया में सुधार

दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया आसान की गई

पहले, बिहार में उन सभी मतदाताओं से दस्तावेज मांगे गए थे जिनके नाम 2003 के बाद सूची में शामिल हुए थे। इससे कई लोगों को परेशानी हुई। इस बार यह प्रावधान आसान किया गया है। यदि किसी व्यक्ति के पिता या परिवार के किसी सदस्य का नाम अंतिम सूची में पहले से मौजूद है, तो उस व्यक्ति के नाम को बिना अतिरिक्त दस्तावेज दिए भी मान्य किया जा सकता है। इससे लाखों लोगों को राहत मिलेगी, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां दस्तावेज़ जुटाना चुनौतीपूर्ण होता है।


राज्य बदलने वाले लोगों के लिए नई सुविधा

राज्य बदलने वाले लोगों के लिए भी राहत

जो लोग पहले किसी अन्य राज्य में रहते थे और अब किसी नए राज्य में वोटर लिस्ट में नाम जोड़वाना चाहते हैं, उन्हें अब अपने रिश्तेदारों या अभिभावकों की ओर से प्रमाण-पत्र जमा नहीं करना पड़ेगा। पहले ऐसा होता था कि दूसरे राज्य में रहने वाले व्यक्ति को साबित करना होता था कि उसका मूल घर कहीं और है। इस नए प्रावधान से प्रवासी मजदूरों और नौकरी की वजह से शहर बदलने वाले लोगों को काफी सुविधा मिलेगी।