SBI को 4400 रुपए की गलती पर 1.7 लाख का मुआवजा देना पड़ा
दिल्ली उपभोक्ता आयोग का निर्णय
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को एक ग्राहक को 1.7 लाख रुपए मुआवजे के रूप में चुकाने का आदेश दिया है। यह मामला तब का है जब बैंक ने ग्राहक के खाते में पर्याप्त धन होने के बावजूद ईएमआई बाउंस का शुल्क काट लिया था। आयोग ने इसे बैंक की सेवा में कमी का मामला माना है।
कार लोन से जुड़ा विवाद
दिल्ली की एक महिला ने 2008 में एचडीएफसी बैंक से 2.6 लाख रुपए का कार लोन लिया था। उन्होंने ईएमआई चुकाने के लिए अपने SBI खाते से ऑटो डेबिट (ECS) की अनुमति दी थी। हर महीने 7,054 रुपए की ईएमआई उनके खाते से अपने आप कटनी थी। समस्या तब उत्पन्न हुई जब 11 ईएमआई बाउंस हो गईं और SBI ने हर बार 400 रुपए का जुर्माना लगाया।
ग्राहक के पास सबूत थे
जब महिला को ईएमआई बाउंस का नोटिस मिला, तो उन्होंने तुरंत अपना बैंक स्टेटमेंट निकाला। स्टेटमेंट में स्पष्ट था कि उनके खाते में हर बार पूरी राशि मौजूद थी। इसके बावजूद, बैंक ने ‘अपर्याप्त बैलेंस’ का हवाला देकर शुल्क काटा। उन्होंने कई बार बैंक अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
11 साल की कानूनी लड़ाई
महिला ने 2010 में इस मामले की शिकायत जिला उपभोक्ता आयोग में की, लेकिन उनका दावा खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) में अपील की। एनसीडीआरसी ने मामले को फिर से दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग को भेजा। अंततः 9 अक्टूबर 2025 को निर्णय उनके पक्ष में आया।
SBI का तर्क और आयोग का उत्तर
SBI ने कहा कि ECS में गलत जानकारी दी गई थी, जिससे भुगतान विफल हुआ। लेकिन आयोग ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि यदि ECS गलत था, तो बाकी ईएमआई कैसे कट गईं? बैंक कोई ठोस सबूत नहीं दे सका कि ग्राहक के खाते में पैसे नहीं थे या मैंडेट में कोई गलती थी।
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि बैंकिंग संस्थानों को ग्राहकों के साथ पारदर्शी और जिम्मेदार व्यवहार करना चाहिए। ग्राहक के खाते में पर्याप्त राशि होने के बावजूद गलत तरीके से चार्ज लगाना उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है।
