बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों की बैठक: शक्ति प्रदर्शन या राजनीतिक रणनीति?
लखनऊ में बीजेपी विधायकों की बैठक
23 दिसंबर को लखनऊ में बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इसके अगले दिन, यूपी बीजेपी अध्यक्ष पंकज चौधरी ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस बैठक में शामिल विधायकों को 25 तारीख की शाम को एक अल्टीमेटम जारी किया गया। योगी सरकार की इंटेलिजेंस पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि ब्राह्मण विधायकों की बैठक के पीछे असली मंशा क्या थी। इस संदर्भ में, चौधरी ने कहा कि कुछ पार्टी नेताओं ने एक विशेष भोज का आयोजन किया, जिसमें अपने समुदाय के मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा कोई भी कार्य बीजेपी की संवैधानिक परंपराओं के खिलाफ है और भविष्य में ऐसे कदम उठाने पर कार्रवाई की चेतावनी दी। हालांकि, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस बैठक को लेकर कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
शक्ति प्रदर्शन का संकेत
इस आयोजन को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब अगस्त में ठाकुर और कुर्मी विधायकों की इसी तरह की बैठक हुई थी। उस बैठक को एक जन्मदिन समारोह के बहाने आयोजित किया गया था। यदि उस समय पार्टी नेतृत्व ने सख्ती दिखाई होती, तो शायद आज यह स्थिति नहीं होती। पहले भूपेंद्र चौधरी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे। इसके बाद लोध नेताओं की बैठक भी इसी तरह के आयोजनों के तहत हुई। हाल ही में, विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान लखनऊ में ब्राह्मण नेताओं की एक और बैठक आयोजित की गई।
चुनावों का दबाव
2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन 2024 में बीजेपी को यूपी में एक बड़ा झटका लगा था। यह स्पष्ट हुआ कि विपक्ष के पीडीए कार्ड के कारण बीजेपी से ओवैसी और खासकर कुर्मी वोटर दूर हो गए। यही कारण है कि बीजेपी इन जातियों को महत्व दे रही है। सवर्णों को लगता है कि उन्हें उचित महत्व नहीं मिल रहा, जिससे वे अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं। विपक्ष इस स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है। हाल के बिहार चुनावों के परिणाम भी इस बात का संकेत हैं कि विपक्ष ने दलित और ओबीसी पर ध्यान केंद्रित किया और सवर्णों के खिलाफ बयानबाजी की।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने बीजेपी पर जाति और धर्म के आधार पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लिए ठाकुर विधायकों की बैठक स्वीकार्य है, लेकिन ब्राह्मण विधायकों को केवल चेतावनी दी जाती है। यह सच है कि ब्राह्मण विधायकों को पार्टी में उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के 258 विधायकों में से 84 ओबीसी, 59 अनुसूचित जाति, 45 ठाकुर, 42 ब्राह्मण और 28 अन्य उच्च जातियों से हैं। दिसंबर 2021 में, बीजेपी ने ब्राह्मण समुदाय को लुभाने के लिए एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया था, जो जमीनी स्तर से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर बनाई गई थी।
