तमिलनाडु में सर्वदलीय बैठक: मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय
सर्वदलीय बैठक का निर्णय
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने रविवार को एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया, जिसमें तमिलनाडु समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दूसरे चरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया गया। स्टालिन ने इस प्रस्ताव की जानकारी देते हुए कहा कि एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य लोगों के मताधिकार को छीनना है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी दलों का कर्तव्य है कि वे इस मुद्दे पर एकजुट होकर आवाज उठाएं।
बैठक में उठाए गए मुद्दे
स्टालिन ने कहा, "मतदाता सूची में संशोधन के संबंध में भ्रम और शंकाओं को देखते हुए, हमने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि ये संशोधन 2026 के आम चुनावों के बाद उचित समय पर और बिना किसी समस्या के किए जाएं, लेकिन यह मांग स्वीकार नहीं की गई। इसलिए, आज की सर्वदलीय बैठक में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का प्रस्ताव पारित किया गया।" उन्होंने बैठक में शामिल 49 दलों का "लोकतंत्र की रक्षा" के लिए धन्यवाद भी दिया।
डीएमके नेताओं की प्रतिक्रिया
डीएमके नेता आरएस भारती ने एसआईआर को "अप्रत्यक्ष रूप से" राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा, "हम इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि इसे छिपे हुए इरादे से लागू किया जा रहा है। यह एसआईआर नहीं है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से एनआरसी में शामिल होने जैसा है। हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।" बैठक में शामिल न होने वाले दलों पर निशाना साधते हुए भारती ने उन्हें "भाजपा का गठबंधन" बताया।
अगले कदम
डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने कहा, "अदालत को अपना अंतिम आदेश जारी करने देना चाहिए। उसके बाद, वे एसआईआर पर आगे बढ़ सकते हैं। हम यही चाहते थे, और यही प्रस्ताव है। प्रस्ताव का उद्देश्य यह है कि चुनाव आयुक्त एसआईआर में अपनी मनमानी न करें।"
