जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर चुनावी धांधली के आरोपों को लेकर किया तीखा हमला

केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर चुनावी धांधली के आरोपों को लेकर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि चुनाव हारने के बाद कांग्रेस गलतफहमियों का प्रचार कर रही है और असली समस्या को नजरअंदाज कर रही है। नड्डा ने विपक्ष के द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी चर्चा की और कहा कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि यह प्रक्रिया भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा रही है।
 | 
जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर चुनावी धांधली के आरोपों को लेकर किया तीखा हमला

कांग्रेस पर नड्डा का हमला

केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद जेपी नड्डा ने मंगलवार को कांग्रेस पर चुनावी धांधली के आरोपों को लेकर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि चुनाव हारने के बाद कांग्रेस गलतफहमियों का प्रचार कर रही है। संसद के उच्च सदन में चुनावी सुधारों पर चर्चा करते हुए नड्डा ने बताया कि विपक्ष मतदाता सूचियों में घुसपैठियों के मुद्दे को उठाते हुए विशेष गहन संशोधन का विरोध नहीं कर रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के कार्यों की निगरानी एक ही परिवार द्वारा नियंत्रित पार्टी के हाथ में है।


 


नड्डा ने कहा कि हाल के चुनाव परिणामों से कांग्रेस को निश्चित रूप से परेशानी हुई है। उन्होंने कहा कि आप समस्या को कहीं और देख रहे हैं, जबकि असली मुद्दा कुछ और है। अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने के लिए आप यह गलत धारणा फैला रहे हैं कि चुनाव हारने का कारण चुनाव आयोग की गड़बड़ी है। ऐसा करके आप अपने दल के हित के लिए देश के हित से समझौता कर रहे हैं।


 


उन्होंने सदन में स्पष्ट किया कि विपक्ष एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ नहीं है। असली सवाल यह है कि क्या घुसपैठियों को मतदाता सूची में रहने दिया जाना चाहिए। सूचियों की पूरी तरह से सफाई होनी चाहिए। चुनाव परिणामों ने विपक्ष को निराश किया है। केंद्रीय मंत्री ने एसआईआर प्रक्रिया को भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बताया और कहा कि यह प्रक्रिया कांग्रेस सरकारों के दौरान भी अपनाई गई थी।


 


उन्होंने यह भी कहा कि दशकों तक चुनाव आयोग की देखरेख की जिम्मेदारी एक ही पार्टी के पास रही है, जो लंबे समय तक सत्ता में रही। उस समय चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि 1952 से भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा रहा है। जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री रहते हुए 1952, 1957 और 1961 में चुनाव हुए थे। इसके बाद कई प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में चुनाव हुए, जिनमें इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, और अटल बिहारी वाजपेयी शामिल हैं।