जयराम रमेश ने भारत-अमेरिका संबंधों पर उठाए सवाल, ट्रंप की रणनीति पर की आलोचना

वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भारत और अमेरिका के संबंधों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच संबंधों की आलोचना की है। रमेश का यह बयान अमेरिका की 2025 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के प्रकाशन के बाद आया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को सुलझाने का दावा किया गया है। इस लेख में रमेश की टिप्पणियों और नई रणनीति के प्रभावों पर चर्चा की गई है, जो पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण में बदलाव को दर्शाती है।
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जयराम रमेश ने भारत-अमेरिका संबंधों पर उठाए सवाल, ट्रंप की रणनीति पर की आलोचना

भारत-अमेरिका संबंधों पर जयराम रमेश की टिप्पणी

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने शनिवार को भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाए। उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच संबंधों पर टिप्पणी की। यह बयान अमेरिका की 2025 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) के प्रकाशन के बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं, खासकर मई में बढ़े तनाव के बाद। यह तनाव पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।


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एक्स पर साझा किए गए एक पोस्ट में, रमेश ने कहा कि व्हाइट हाउस द्वारा जारी 33-पृष्ठ के दस्तावेज़ में यह उल्लेख किया गया है कि ट्रंप ने आठ गंभीर संघर्षों को सुलझाया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुआ तनाव भी शामिल है। उन्होंने यह भी बताया कि ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान जारी 2017 की रणनीति की तुलना में पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण में बदलाव आया है। 2025 की रणनीति में अमेरिका द्वारा आतंकवादियों के समर्थन के लिए पाकिस्तान की आलोचना, कड़े आतंकवाद-रोधी उपायों की मांग और इस्लामाबाद से अपने परमाणु शस्त्रागार का जिम्मेदार प्रबंधन करने का आग्रह करने का कोई उल्लेख नहीं है।


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व्हाइट हाउस द्वारा जारी की गई 33-पृष्ठ की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में राष्ट्रपति ट्रंप ने यह दावा दोहराया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष को सुलझा लिया है। दस्तावेज़ के पृष्ठ 8 पर भी यही बात दोहराई गई है। 2025 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। 2017 के ट्रंप-कालीन रणनीति दस्तावेज़ में पाकिस्तान पर आतंकवादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया गया था और कड़े आतंकवाद-रोधी कदम उठाने की मांग की गई थी, जबकि नई रणनीति में इस्लामाबाद पर अपने परमाणु शस्त्रागार का जिम्मेदार प्रबंधन करने का दबाव नहीं डाला गया है।