क्या भाजपा ने बिहार में यादवों को दरकिनार कर दिया? 101 उम्मीदवारों की सूची पर उठे सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 101 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें कई यादव नेताओं के टिकट काटे गए हैं। रामसूरत यादव और मिश्रीलाल यादव जैसे नेताओं ने पार्टी के फैसले पर सवाल उठाए हैं। क्या भाजपा ने यादवों को दरकिनार कर दिया है? जानें इस मुद्दे पर पूरी जानकारी और पार्टी के भीतर की राजनीति के बारे में।
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क्या भाजपा ने बिहार में यादवों को दरकिनार कर दिया? 101 उम्मीदवारों की सूची पर उठे सवाल

भाजपा की उम्मीदवारों की घोषणा

क्या भाजपा ने बिहार में यादवों को दरकिनार कर दिया? 101 उम्मीदवारों की सूची पर उठे सवाल

रामसूरत यादव, मिश्रीलाल यादव और प्रहलाद यादव

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सभी उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इस बार भाजपा 101 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। एनडीए में जेडीयू को भी 101 सीटें मिली हैं, जबकि चिराग पासवान की पार्टी को 29 और जीतन राम मांझी तथा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 6-6 सीटें दी गई हैं। भाजपा ने तीन सूचियाँ जारी की हैं, जिनमें कई मौजूदा विधायकों के नाम भी शामिल नहीं हैं, जिससे उनमें असंतोष उत्पन्न हुआ है। औराई से विधायक रामसूरत यादव को इस बार टिकट नहीं मिला है, जिससे वे काफी निराश हैं। उनका कहना है कि उनकी यादव पहचान के कारण उनका टिकट काटा गया है।

रामसूरत ने एक साक्षात्कार में उन यादव नेताओं के नाम बताए, जिनके टिकट काटे गए हैं। उन्होंने कहा कि नंदकिशोर यादव, प्रणव यादव, पवन यादव, जयप्रकाश यादव, रामसूरत यादव, मिश्रीलाल यादव और प्रहलाद यादव को टिकट नहीं मिला। रामसूरत ने यह भी कहा कि इस निर्णय से यह संदेश दिया गया है कि पार्टी यादवों के बिना भी जीत सकती है। पहले मुसलमानों को हटाया गया और अब यादवों को भी दरकिनार किया जा रहा है।


रामसूरत यादव का टिकट क्यों कटा?

रामसूरत यादव के बारे में माना जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर विरोध के कारण पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि नित्यानंद राय के कहने पर उनका टिकट काटा गया है। दो दिन पहले उन्होंने रमा निषाद को पार्टी में शामिल कराया था और उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है।


क्या मिश्रीलाल यादव ने भाजपा छोड़ दी?

भाजपा ने इस बार कुल 17 विधायकों के टिकट काटे हैं। टिकट कटने से पहले ही मिश्रीलाल यादव ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। मिश्रीलाल अलीनगर से भाजपा विधायक थे। उनके पार्टी छोड़ने पर लोक गायिका मैथिली ठाकुर को अलीनगर से उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी छोड़ते हुए मिश्रीलाल यादव ने कहा कि आज पिछड़े दलित के साथ मेरा अपमान हो रहा है। स्वाभिमान पर ठेस पहुंच रही है। मेरे जैसे विधायक का भाजपा में स्वाभिमान बचाना मुश्किल हो रहा है। भाजपा घमंड में चूर हो गई है। भाजपा पिछड़ा विरोधी है।


2015 में 22 यादवों को बनाया गया था उम्मीदवार

भाजपा ने इस बार कुल 6 यादवों को टिकट दिया है। वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 15 यादवों को टिकट दी थी। इसके अलावा 2015 में उससे भी ज्यादा 22 यादवों को उम्मीदवार बनाया गया था। इस बार पहली सूची में चार उम्मीदवार यादव थे, दूसरी में कोई नहीं और तीसरी में 2 यादव थे। टिकट कटने वालों में सबसे ज्यादा हैरान करने वाला नाम सात बार के विधायक नंद किशोर यादव का था। 72 साल के नंदकिशोर पहली बार 1995 में पटना पूर्व से विधायक चुने गए थे।


प्रहलाद यादव को नहीं मिला टिकट

भाजपा ने इस बार अररिया के नरपतगंज से विधायक जयप्रकाश यादव की जगह देवंती यादव को उम्मीदवार बनाया है। इनके अलावा प्रहलाद यादव को भी टिकट नहीं मिल पाया। सूर्यगढ़ा के विधायक प्रहलाद यादव की सीट जेडीयू के खाते में चली गई। प्रहलाद यादव 2020 में आरजेडी के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन बाद में उन्होंने पाला बदल लिया और एनडीए के पाले में आ गए। टिकट कटने के बाद वे काफी दुखी नजर आए। उन्होंने कहा कि मुझे एनडीए की तरफ से भरोसा दिया गया था। फ्लोर टेस्ट में हमने एनडीए की मदद की थी। मेरे साथ अन्याय हुआ। जेडीयू के ललन सिंह को उनका विरोधी माना जाता है। कहा जाता है कि वो ही उनकी टिकट में सबसे बड़े रोड़ा बने।


आरजेडी के गढ़ में भाजपा का उम्मीदवार

इस बीच आरजेडी के गढ़ राघोपुर से भाजपा ने सतीश कुमार यादव को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां उनका मुकाबला तेजस्वी यादव से होगा। 2010 में उन्होंने राबड़ी देवी को 13,006 मतों के अंतर से हराकर बड़ा उलटफेर किया था। हालांकि बाद में उन्हें 2 बार तेजस्वी के सामने हार का सामना करना पड़ा।


भाजपा की तीसरी सूची