कर्नाटक में यतींद्र सिद्धारमैया का विवादास्पद बयान, आरएसएस की तुलना तालिबान से

यतींद्र सिद्धारमैया का विवादास्पद बयान
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया ने भाजपा के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना तालिबान से की है, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया है। यतींद्र ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि आरएसएस हिंदू धर्म की कठोर व्याख्याएँ थोपने का प्रयास कर रहा है, ठीक उसी तरह जैसे तालिबान इस्लाम के अपने संस्करण को लागू करता है। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस की मानसिकता तालिबान जैसी है, जो इस्लाम को एक विशेष तरीके से लागू करने के लिए आदेश जारी करता है और महिलाओं की स्वतंत्रता पर पाबंदियाँ लगाता है। इसी प्रकार, आरएसएस भी हिंदू धर्म को एक ही तरीके से लागू करना चाहता है।
आरएसएस को पंजीकृत संगठन बनाने की मांग
यतींद्र ने यह भी कहा कि आरएसएस को एक पंजीकृत संगठन के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और इसकी गतिविधियों पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस के पास हजारों करोड़ रुपये की संपत्तियाँ हैं, लेकिन यह बिना पंजीकरण के कार्य कर रहा है। इतना शक्तिशाली संगठन कानून के दायरे में आना चाहिए। उनकी इस टिप्पणी को कांग्रेस के भीतर भी समर्थन मिला है, जहां कर्नाटक के आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे और वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए। हरिप्रसाद ने आरएसएस को "भारतीय तालिबान" करार दिया और आरोप लगाया कि यह बिना अनुमति के सरकारी स्कूलों में शाखाएँ चला रहा है।
भाजपा का तीखा जवाब
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे खड़गे ने मुख्यमंत्री से सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया, इसे विभाजनकारी और संविधान की भावना के खिलाफ बताया। भाजपा ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी, इसे "राष्ट्र-विरोधी" करार दिया और कांग्रेस नेताओं पर शासन के मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि आरएसएस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता और उसकी विचारधारा हमेशा राष्ट्र-विरोधी कांग्रेस पर विजय प्राप्त करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार के तहत कर्नाटक में 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' फिर से सक्रिय हो गया है, लेकिन राज्य की जनता इस तरह के विश्वासघात को बर्दाश्त नहीं करेगी।