कर्नाटक में कांग्रेस सरकार में राजनीतिक उथल-पुथल जारी
कर्नाटक कांग्रेस में अंदरूनी संघर्ष
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट हैं, और उनके समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखने की इच्छा रखते हैं। हालांकि, वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने पद से हटने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को बेंगलुरु का दौरा किया, लेकिन शिवकुमार ने उनसे अब तक मुलाकात नहीं की है।
नागा संतों का शिवकुमार से मिलना
राजनीतिक हलचल को बढ़ाते हुए, नागा संतों के एक समूह ने डीके शिवकुमार के निवास का दौरा किया। इनमें से एक संत काशी से आए थे और उन्होंने शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद का आशीर्वाद दिया। इस घटना ने शिवकुमार की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर चर्चाएँ तेज कर दी हैं।
मध्यस्थता में केजे जॉर्ज की भूमिका
ऊर्जा मंत्री केजे जॉर्ज इस विवाद में मध्यस्थता करने वाले एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में उभरे हैं। उन्होंने पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात की और फिर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के साथ चर्चा की। बाद में, शिवकुमार ने जॉर्ज के घर जाकर एक घंटे तक चर्चा की। सूत्रों के अनुसार, जॉर्ज ने शिवकुमार को सलाह दी कि वे मार्च में होने वाले राज्य के बजट सत्र तक धैर्य रखें, जबकि शिवकुमार ने पार्टी नेतृत्व से अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में स्पष्ट आश्वासन मांगा।
सिद्धारमैया खेमे की स्थिति
सिद्धारमैया खेमे का मानना है कि अधिकांश विधायक उनके साथ हैं। इसे साबित करने के लिए, सिद्धारमैया के बेटे डॉ. यतींद्र सिद्धारमैया पिछले दो दिनों से उत्तर कन्नड़ जिले में कांग्रेस विधायकों से व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं। शिवकुमार के समर्थक, जो सिद्धारमैया के संख्यात्मक लाभ से अवगत हैं, पार्टी आलाकमान पर सत्ता हस्तांतरण के पहले दिए गए आश्वासन पर दबाव बनाने के लिए अपने वफादार विधायकों के समूहों को दिल्ली भेज रहे हैं।
