JMM का बिहार चुनाव में अकेले उतरने का निर्णय, महागठबंधन में बढ़ी दरारें

JMM का चुनावी निर्णय

बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी JMM
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में कई बार विवाद उत्पन्न हुए हैं। हालांकि, कुछ नेताओं ने स्थिति को सामान्य बताया, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। पहले चरण की वोटिंग के लिए नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, और सीटों का बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है। इसी कारण झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। JMM कुल 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी।
महागठबंधन से अलग होने के बारे में झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा, “हमने हर पहलू पर बातचीत की, लेकिन जब हमें सकारात्मक उत्तर नहीं मिला और हमारी मांगी गई सीटों की संख्या भी नहीं दी गई, तो एक राजनीतिक दल के पास क्या विकल्प बचता है? इसलिए, हम पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि सभी पार्टी नेताओं ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। छह सीटों की घोषणा हो चुकी है और आज उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर, हम और सीटों पर भी उम्मीदवार उतार सकते हैं।
#WATCH | Ranchi, Jharkhand: On JMM to contest on six seats alone in the Bihar Assembly elections, JMM leader Manoj Pandey says, “Discussions were ongoing in every regard, but when we did not receive a positive response and our requested number of seats was denied, what options pic.twitter.com/rydDjFE8hJ
— News Media October 19, 2025
महागठबंधन को भुगतने होंगे परिणाम
मनोज पांडे ने कहा कि हमें महागठबंधन में कम आंका गया है। जबकि पूरे देश ने हमारे नेता और हमारी पार्टी के करिश्मे को देखा है। हमने झारखंड में फासीवादी ताकतों को हराया था। उन्होंने कहा कि बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में हमारी पार्टी का अच्छा प्रभाव है। यदि हम एकजुट रहते, तो भारत गठबंधन और भी प्रभावी होता, लेकिन हमें नजरअंदाज किया गया। इसलिए, भारत गठबंधन को इसके परिणाम भुगतने होंगे।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई नेता पहले ही कह चुके थे कि यदि उन्हें सम्मान नहीं दिया गया, तो वे अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव है। यही कारण है कि अंतिम समय तक सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी।
महागठबंधन में खींचतान जारी
महागठबंधन में पिछले कुछ दिनों से खींचतान बढ़ी हुई है। कई सहयोगी दलों की नाराजगी स्पष्ट है। कई सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इससे यह स्पष्ट है कि आगामी चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। इसके अलावा, कांग्रेस में भी उनके प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ विरोध देखने को मिल रहा है। दूसरी ओर, एनडीए ने अपने प्रचार को तेज कर दिया है।