जम्मू-कश्मीर में मुश्ताक बुखारी की मौत पर भाजपा नेता विबोध गुप्ता ने जताया दुख

नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस) । जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री और सुरनकोट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार मुश्ताक अहमद शाह बुखारी का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनकी आयु 75 वर्ष थी। उनकी मौत पर भाजपा नेता और वकील विबोध गुप्ता ने दुख व्यक्त किया है।
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जम्मू-कश्मीर में मुश्ताक बुखारी की मौत पर भाजपा नेता विबोध गुप्ता ने जताया दुख

नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस) । जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री और सुरनकोट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार मुश्ताक अहमद शाह बुखारी का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनकी आयु 75 वर्ष थी। उनकी मौत पर भाजपा नेता और वकील विबोध गुप्ता ने दुख व्यक्त किया है।

उन्होंने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, “वे एक महान शख्सियत थे और जम्मू-कश्मीर के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे राजौरी और पूंछ की आन, बान और शान थे। उनका अचानक निधन हमें एक बड़े सदमे में डाल गया है। आज का दिन हमारे लिए बहुत कठिन है, क्योंकि हमने एक ऐसे व्यक्तित्व को खो दिया है जिसने घाटी में बहुत संघर्ष किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजय हासिल की। भगवान उन्हें शांति प्रदान करे और जन्नत में ऊंचा स्थान दे।”

इसके बाद उन्होंने कहा, “हम प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार को इस दुख से बाहर निकलने की शक्ति मिले। पूरा राजौरी और पुंछ उनके परिवार के साथ खड़ा है। उनका अचानक जाना जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक अपूरणीय क्षति है। वे गरीबों के मसीहा थे। उन्होंने पहाड़ी समुदाय के लिए एक बड़ी लड़ाई लड़ी, जिसमें वह सफल रहे। वह केवल पहाड़ी कबीले के नेता नहीं थे, बल्कि जम्मू-कश्मीर के समग्र नेता थे।”

परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “राजौरी और पूंछ में उनके जैसा नेता शायद ही फिर कभी पैदा हो। इस दुख की घड़ी में, मैं एक बार फिर उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। हम सभी उनके साथ हैं। मैं यही कहना चाहूंगा कि भगवान उन्हें स्वर्ग में उच्च स्थान प्रदान करे और अपने चरणों में रखे।”

बता दें कि पहाड़ी समुदाय के लिए एसटी (अनुसूचित जनजाति) दर्जे के मुद्दे पर पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के साथ मतभेद के बाद बुखारी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस छोड़ दी थी। फरवरी में केंद्र द्वारा पहाड़ी लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए थे। वे 1996 में फारूक अब्दुल्ला सरकार में मंत्री भी रहे थे।

--आईएएनएस

पीएसएम/जीकेटी