PGT-A परीक्षण: 35 के बाद मातृत्व के लिए नई उम्मीद

मातृत्व की चुनौतियाँ और PGT-A परीक्षण
आज के समय में, करियर, वित्तीय स्वतंत्रता और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के कारण, कई महिलाएँ 30 की उम्र के बाद परिवार शुरू करना पसंद करती हैं। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, विशेषकर 35 के बाद, माँ बनने का रास्ता थोड़ा कठिन हो जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि इस उम्र में भ्रूण के गुणसूत्रों में गड़बड़ी होने की संभावना अधिक होती है। यही कारण है कि गर्भधारण में कठिनाइयाँ, बार-बार गर्भपात, और सफल प्रसव की स्थिति बढ़ सकती है।

हालांकि, चिकित्सा विज्ञान की प्रगति ने इस चुनौती को काफी हद तक आसान बना दिया है। हाल ही में एक अध्ययन में यह पाया गया है कि प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT-A) नामक तकनीक उम्रदराज महिलाओं के लिए एक नई आशा बन सकती है।
PGT-A परीक्षण क्या है?
जब कोई महिला IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) के माध्यम से माँ बनने का प्रयास करती है, तो भ्रूण को प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है। PGT-A परीक्षण के माध्यम से उन भ्रूणों की जांच की जाती है ताकि यह पता चल सके कि क्या गुणसूत्रों में कोई असामान्यता है।
गुणसूत्रों में गड़बड़ी अक्सर गर्भपात या गर्भधारण में विफलता का कारण बनती है। ऐसे में, यदि डॉक्टर पहले से सही भ्रूण का चयन करते हैं, तो गर्भधारण की संभावनाएँ काफी बढ़ जाती हैं।
35 से 42 वर्ष की महिलाओं पर शोध
किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने 35 से 42 वर्ष की महिलाओं पर एक महत्वपूर्ण परीक्षण किया। यह इस प्रकार का पहला यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण था, जिसमें 100 महिलाओं को शामिल किया गया।
महिलाओं को दो समूहों में विभाजित किया गया:
पहले समूह में IVF से बने भ्रूणों पर PGT-A परीक्षण किया गया।
दूसरे समूह में बिना किसी परीक्षण के भ्रूणों का स्थानांतरण किया गया।
परिणाम क्या थे?
अध्ययन में यह पाया गया कि PGT-A परीक्षण कराने वाली महिलाओं में जीवित जन्म दर अधिक थी।
PGT-A समूह में यह दर 72% थी, जबकि सामान्य समूह में केवल 52% महिलाएँ सफलतापूर्वक बच्चे को जन्म देने में सफल रहीं।
इसके अलावा, PGT-A का उपयोग करने वाली महिलाओं को भ्रूण स्थानांतरण कम बार करना पड़ा, और गर्भधारण का समय भी कम हो गया। इसका मतलब है कि यह प्रक्रिया न केवल सफलता की संभावनाओं को बढ़ाती है, बल्कि महिलाओं को लंबे इंतज़ार से भी राहत देती है।
यह अध्ययन क्यों खास है?
अब तक, उम्रदराज महिलाओं के लिए मातृत्व की कोशिशों पर ऐसा ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं था। यह पायलट अध्ययन उस कमी को पूरा करता है और यह संकेत देता है कि PGT-A तकनीक उम्रदराज महिलाओं में IVF की सफलता बढ़ाने में बहुत सहायक हो सकती है।
हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि इन परिणामों को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर और विभिन्न केंद्रों पर अध्ययन करना आवश्यक है।
उम्र और मातृत्व
आज समाज में यह सामान्य हो गया है कि महिलाएँ पहले करियर और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करती हैं और फिर मातृत्व की ओर बढ़ती हैं, लेकिन इसके साथ आने वाली जैविक चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आशा की नई किरण
PGT-A परीक्षण से संबंधित प्रारंभिक परिणाम दिखाते हैं कि यह तकनीक उम्रदराज महिलाओं के लिए मातृत्व के सपने को साकार करने में एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
हालांकि बड़े अध्ययन अभी भी आवश्यक हैं, यह तकनीक साबित करती है कि सही भ्रूण का चयन गर्भधारण के रास्ते को निश्चित रूप से आसान बना सकता है। 35 के बाद माँ बनना पहले चुनौतीपूर्ण लग सकता था, लेकिन आज विज्ञान की मदद से यह सपना भी साकार किया जा सकता है। PGT-A जैसी तकनीक न केवल मातृत्व के रास्ते को आसान बनाती है, बल्कि उन महिलाओं को मानसिक शांति भी देती है जो बार-बार असफल गर्भधारण का सामना करती हैं।