NEET UG 2026: छात्रों और अभिभावकों की चिंताएं और संभावित बदलाव
NEET UG 2026 के संदर्भ में छात्रों और अभिभावकों की चिंताएं बढ़ रही हैं, खासकर कोचिंग के खर्च और प्रतिस्पर्धा को लेकर। भारत सरकार संभावित बदलावों पर विचार कर रही है, जिसमें 10वीं के बाद NEET में शामिल होने की योजना भी शामिल है। जानें इस परीक्षा में क्या बदलाव हो सकते हैं और छात्रों के लिए क्या नई संभावनाएं खुल सकती हैं।
| Dec 22, 2025, 17:20 IST
NEET UG 2026: छात्रों और अभिभावकों की चिंताएं
नीट यूजी Image Credit source: Social Media
NEET UG 2026: भारत सरकार ने मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करने का प्रयास किया है। इस दिशा में, नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) UG को अनिवार्य किया गया है। NEET UG के माध्यम से देशभर के मेडिकल कॉलेजों में MBBS और अन्य चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश मिलता है। इसे देश के मेडिकल शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही छात्रों और अभिभावकों की कई चिंताएं भी हैं। सरकार भी इस परीक्षा में संभावित बदलावों पर विचार कर रही है।
आइए, जानते हैं कि NEET UG को लेकर अभिभावकों की चिंताएं क्या हैं और सरकार किस प्रकार के बदलावों पर विचार कर रही है।
नीट यूजी का संक्षिप्त विवरण
भारत में MBBS के लिए 1.29 लाख सीटें उपलब्ध हैं। इसके अलावा, BAMS, BHMS, और नर्सिंग जैसे आयुष पाठ्यक्रमों के लिए लगभग 2.5 लाख सीटें हैं, जिनमें हर साल NEET UG के स्कोर के आधार पर प्रवेश होता है। जबकि NEET UG में 20 लाख से अधिक छात्र भाग लेते हैं।
कोचिंग का बढ़ता खर्च और प्रतिस्पर्धा
मेडिकल करियर बनाने के लिए NEET UG में अच्छा स्कोर करना आवश्यक है। यह एक पारदर्शी प्रक्रिया है, लेकिन इसके प्रति बढ़ती निर्भरता अभिभावकों और छात्रों के लिए चिंता का कारण बन रही है। इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं: कोचिंग की आवश्यकता, कोचिंग का बढ़ता खर्च, और प्रतिस्पर्धा। आइए इन तीनों पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
कोचिंग की आवश्यकता: NEET UG में सफलता के लिए कोचिंग लेना अनिवार्य हो गया है। बिना कोचिंग के NEET UG में सफलता पाना मुश्किल है। एक-एक अंक से मेरिट तय होती है, इसलिए कोचिंग में अतिरिक्त तैयारी आवश्यक है। कई छात्र जो पढ़ाई में अच्छे होते हैं, वे भी NEET UG में सफल नहीं हो पाते।
महंगी कोचिंग: NEET UG में सफलता के लिए कोचिंग की आवश्यकता है, लेकिन इसका खर्च बहुत अधिक है। कई मामलों में, NEET कोचिंग की लागत पढ़ाई से भी अधिक होती है। दिल्ली और अन्य राज्यों में प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान 3 से 5 लाख रुपये तक चार्ज करते हैं, जबकि कई अभिभावक अपने बच्चों की कक्षा 1 से 12 की पढ़ाई में इतना खर्च नहीं करते।
प्रतिस्पर्धा: NEET UG में एक-एक सीट के लिए प्रतिस्पर्धा है। MBBS की एक सीट के लिए 20 से अधिक छात्र भाग लेते हैं। बेहतर स्कोर करने के बाद भी केवल एक छात्र को प्रवेश मिलता है। इस प्रकार, महंगी कोचिंग के बावजूद सफलता के अवसर सीमित होते हैं। एक असफलता का मतलब एक साल की बर्बादी है, जो छात्रों और अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है।
नीट यूजी में संभावित बदलाव
केंद्र सरकार इन चिंताओं से अवगत है और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय NEET UG में संभावित बदलावों पर विचार कर रहा है।
कोचिंग कल्चर पर नियंत्रण: NEET UG में सफलता के लिए कोचिंग लेना आम हो गया है। इस पर निर्भरता बढ़ने से अभिभावक और छात्र परेशान हैं। इसे देखते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग कल्चर पर नियंत्रण लगाने के लिए एक समिति बनाई है।
10वीं के बाद NEET UG: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय NEET UG को लेकर 10वीं के बाद छात्रों को शामिल करने की योजना पर विचार कर रहा है। इससे छात्रों को इंटर की पढ़ाई के साथ NEET की तैयारी करने का अवसर मिलेगा।
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