MS Dhoni और भारतीय सेना: टेरिटोरियल आर्मी की नई शक्तियां

भारत-पाकिस्तान तनाव और टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम में किए गए हमले का प्रभावी जवाब दिया है। इस स्थिति को देखते हुए, भारत सरकार ने टेरिटोरियल आर्मी को सक्रिय करने का निर्णय लिया है। इसका अर्थ है कि थल सेना के प्रमुख को आवश्यकता पड़ने पर टेरिटोरियल आर्मी के सभी अधिकारियों को बुलाने का अधिकार मिल गया है।
इसका उपयोग गार्ड ड्यूटी के लिए किया जा सकता है, और सेना के साथ सहयोग पर भी विचार किया जा सकता है। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसका प्रतिशोध भारतीय सेना ने 6 मई को लिया। इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया था, जिसमें नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया।
MS Dhoni का टेरिटोरियल आर्मी में योगदान
महेंद्र सिंह धोनी, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान, टेरिटोरियल आर्मी के एक सक्रिय सदस्य हैं। इसके अलावा, ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चौपड़ा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी इस आर्मी का हिस्सा हैं। धोनी ने 2019 में कश्मीर में सेना की विक्टर फोर्स के साथ 15 दिनों की सेवा दी थी और वे 2011 से इस आर्मी के सदस्य हैं।
धोनी ने सेना की पैराशूट रेजीमेंट के साथ प्रशिक्षण लिया है और वे ऑनरेरी लेफ्टिनेंट के पद पर हैं। इसी तरह, बिंद्रा भी 2011 में टेरिटोरियल आर्मी में शामिल हुए थे और वे सिख रेजीमेंट का हिस्सा बने।
टेरिटोरियल आर्मी की कार्यप्रणाली
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, टेरिटोरियल आर्मी इंफ्रेंटी की 32 बटालियन में से कुछ को महत्वपूर्ण सैन्य क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। इन्हें सदर्न, वेस्टर्न, सेंट्रल, नॉर्दर्न और साउथ वेस्टर्न कमांड के तहत ड्यूटी दी जाएगी। इस आर्मी को सेना की दूसरी पंक्ति के रूप में देखा जाता है।