ISRO की नई अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी: NISAR उपग्रह और गगनयान की जानकारी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने आगामी मिशनों की योजना का खुलासा किया है, जिसमें NASA-ISRO का NISAR उपग्रह और गगनयान मिशन शामिल हैं। NISAR उपग्रह पृथ्वी की सतह का स्कैन करेगा और जलवायु परिवर्तन से संबंधित अनुसंधान को मजबूत करेगा। गगनयान मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना है, जिसमें पहले एक मानवाकार रोबोट 'व्योममित्र' का परीक्षण किया जाएगा। जानें इन मिशनों के महत्व और ISRO की तकनीकी क्षमताओं के बारे में।
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ISRO की नई अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी: NISAR उपग्रह और गगनयान की जानकारी

ISRO के महत्वाकांक्षी मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) निकट भविष्य में कई महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी मिशनों की योजना बना रहा है। ISRO के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने घोषणा की है कि NASA-ISRO सहयोगी सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह 30 जुलाई को GSLV-F16 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा।


NISAR उपग्रह की विशेषताएँ

यह उपग्रह हर 12 दिन में पृथ्वी की पूरी सतह का स्कैन करेगा और 242 किलोमीटर चौड़ी पट्टी में दिन-रात, सभी मौसम की स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली छवियाँ प्रदान करेगा। इस मिशन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और पृथ्वी विज्ञान से संबंधित अनुसंधान को मजबूत करना है।


गगनयान मिशन की जानकारी

डॉ. नारायणन ने गगनयान मिशन के बारे में भी जानकारी दी, जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है। यह मानवयुक्त मिशन तीन बिना मानव के मिशनों से पहले होगा, जिसमें एक मानवाकार मिशन भी शामिल है। दिसंबर में, एक महिला रोबोट 'व्योममित्र' को परीक्षण के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।


व्योममित्र रोबोट की क्षमताएँ

व्योममित्र नाम संस्कृत के दो शब्दों 'व्योम' (अर्थात अंतरिक्ष) और 'मित्र' (अर्थात मित्र) से मिलकर बना है। यह महिला रोबोट अंतरिक्ष यान के पैरामीटर की निगरानी करने, चेतावनियाँ जारी करने और जीवन समर्थन प्रणालियों को संचालित करने में सक्षम है।


भारत की तकनीकी क्षमता का विस्तार

इन मिशनों के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी तकनीकी क्षमता का विस्तार कर रहा है, और ISRO इस दिशा में देश को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक स्तर पर नेतृत्व प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।