IPS Srishti Mishra: UPSC में सफलता की प्रेरणादायक कहानी

आईपीएस सृष्टि मिश्रा की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने पहले प्रयास में असफलता के बावजूद, 8-10 घंटे की मेहनत से दूसरे प्रयास में 95वीं रैंक हासिल की। जानें उनके संघर्ष और सफलता के बारे में, जो साबित करती है कि मेहनत और लगन से हर सपना पूरा किया जा सकता है।
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IPS Srishti Mishra: UPSC में सफलता की प्रेरणादायक कहानी

सफलता की कहानी: IPS सृष्टि मिश्रा

IPS Srishti Mishra: UPSC में सफलता की प्रेरणादायक कहानी

आईपीएस सृष्टि मिश्रा ने यूपीएससी में 95वीं रैंक प्राप्त की थी.

UPSC की सफलता की कहानी: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। हर साल लाखों छात्र इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन सफलता केवल कुछ ही को मिलती है। कुछ उम्मीदवार ऐसे होते हैं, जो पहले या दूसरे प्रयास में ही परीक्षा पास कर लेते हैं। इनमें से एक हैं आईपीएस सृष्टि मिश्रा, जिन्होंने 2023 यूपीएससी सीएसई में 95वीं रैंक हासिल की। आइए जानते हैं उनके बारे में।

आईपीएस सृष्टि मिश्रा: परिचय

आईपीएस सृष्टि मिश्रा उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की निवासी हैं। उनके पिता आदर्श मिश्रा विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी हैं, जबकि उनकी मां एक गृहिणी हैं। सृष्टि ने दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने फरीदाबाद में अपनी मौसी के साथ रहकर यूपीएससी की तैयारी की।

सफलता का रहस्य: 8 घंटे की पढ़ाई

सृष्टि ने पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा में सफलता नहीं पाई, लेकिन उन्होंने निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। इसके बजाय, उन्होंने अपनी गलतियों का विश्लेषण किया और अपनी कमजोरियों पर काम किया। उन्होंने प्रतिदिन 8-10 घंटे पढ़ाई की और दूसरे प्रयास में यूपीएससी सीएसई में 95वीं रैंक प्राप्त की, जिससे वह आईपीएस बनीं।

विदेश में पढ़ाई का अनुभव

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सृष्टि आगे की पढ़ाई के लिए विदेश गई थीं, लेकिन कुछ समय बाद वह भारत लौट आईं। लौटने के बाद, उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और 2023 बैच की यूपी कैडर की आईपीएस अधिकारी बनीं।

आईपीएस सृष्टि मिश्रा की कहानी उन लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो पहली बार असफल होने पर निराश हो जाते हैं और तैयारी छोड़ देते हैं। उनके पिता का सपना था कि वह आईपीएस अधिकारी बनें, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से पूरा किया।

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