INS सिंधुघोष की विदाई: भारतीय नौसेना का नया दिशा और आधुनिक पनडुब्बियों की ओर कदम
INS सिंधुघोष का विदाई समारोह
INS सिंधुघोष
भारतीय नौसेना ने अपनी रूसी निर्मित पनडुब्बी INS सिंधुघोष को सेवा से विदाई दी है। यह घटना एक युग के समापन का प्रतीक है और इसे नौसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पुराने प्लेटफार्मों को हटाकर अब नई पीढ़ी की पनडुब्बियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वर्तमान में, नौसेना के पास 16 पारंपरिक (डीजल-इलेक्ट्रिक) पनडुब्बियां हैं, जिनमें से 6 अत्याधुनिक स्कॉर्पीन क्लास की हैं, जो फ्रांस की नेवल ग्रुप के सहयोग से भारत में निर्मित की गई हैं। पिछले 67 वर्षों में इन पनडुब्बियों की तैनाती ने भारत की स्वदेशी निर्माण क्षमता को बढ़ावा दिया है। सूत्रों के अनुसार, स्कॉर्पीन क्लास की तीन और पनडुब्बियों को शामिल करने का प्रस्ताव विचाराधीन है.
परमाणु पनडुब्बियों की ताकत
परमाणु शक्ति से समुद्र में मज़बूत पकड़
भारतीय नौसेना की शक्ति का एक महत्वपूर्ण आधार अब परमाणु पनडुब्बियां INS अरिहंत और INS अरिघात हैं। ये पनडुब्बियां भारत की न्यूक्लियर ट्रायड को मजबूत करती हैं और देश की समुद्री सुरक्षा को नई ऊंचाई पर ले जाती हैं। यह क्षमता 1990 के दशक में भारत के पास नहीं थी.
अरिहंत क्लास की पनडुब्बियों का विस्तार
अरिहंत क्लास की और परमाणु पनडुब्बियों पर फोकस
भारत अपनी अरिहंत-श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों (SSBNs) का विस्तार कर रहा है। पहली पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत 2016 में शामिल हुई, दूसरी आईएनएस अरिघात अगस्त 2024 में कमीशन होगी, और तीसरी आईएनएस अरिधमन समुद्री परीक्षणों के बाद जल्द ही कमीशन होने वाली है। चौथी पनडुब्बी अक्टूबर 2024 में लॉन्च होगी, और कुल पांच पनडुब्बियों की योजना है, जो भारत की समुद्री परमाणु प्रतिरोध क्षमता को मजबूत करेंगी.
वर्तमान स्थिति और निर्माण
वर्तमान स्थिति और निर्माण:
• आईएनएस अरिहंत: पहली अरिहंत-श्रेणी की SSBN, 2016 में शामिल हुई और सेवा में है.
• आईएनएस अरिघात: दूसरी पनडुब्बी, अगस्त 2024 में कमीशन की जाएगी.
• आईएनएस अरिधमन (तीसरी): नवंबर 2021 में लॉन्च हुई थी और 2022 से परीक्षणों में है; 2025 के अंत तक कमीशन होने की उम्मीद है.
• चौथी पनडुब्बी: अक्टूबर 2024 में लॉन्च होगी और इसमें K-4 मिसाइलें होंगी.
• पांचवी पनडुब्बी: एक पांचवी अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बी बनाने की योजना है.
परियोजना का उद्देश्य
परियोजना का उद्देश्य:
• भारत अपनी परमाणु पनडुब्बी बेड़े (SSBN) के लिए चार से छह जहाजों का निर्माण कर रहा है, ताकि एक विश्वसनीय समुद्री परमाणु निवारण क्षमता विकसित की जा सके.
• ये पनडुब्बियां बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBMs) से लैस होंगी और भारत के ‘ट्रायड’ (थल, जल, वायु) परमाणु क्षमता का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
AIP तकनीक से भविष्य
AIP तकनीक से भविष्य और मजबूत
नौसेना का भविष्य अब एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक वाली छह नई पनडुब्बियों की महत्वाकांक्षी परियोजना से जुड़ा है। इस परियोजना में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और जर्मनी की थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) की साझेदारी भारत को अत्याधुनिक तकनीक दिलाएगी। उम्मीद है कि 2026 की शुरुआत तक कॉन्ट्रैक्ट साइन हो जाएगा, जिससे भारत को लंबी अवधि में बड़ा रणनीतिक फायदा मिलेगा.
हिंद महासागर में बढ़ती भूमिका
हिंद महासागर में बढ़ती भूमिका
हालांकि संख्या फिलहाल सीमित है, लेकिन भारतीय नौसेना की पनडुब्बी क्षमता गुणवत्ता, प्रशिक्षण और रणनीति के लिहाज से कहीं ज्यादा मजबूत हुई है। अत्याधुनिक सेंसर, बेहतर हथियार और परमाणु पनडुब्बियों की मौजूदगी के चलते भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी प्रभावी और विश्वसनीय मौजूदगी बनाए हुए है.
भविष्य की चुनौतियां
भविष्य की चुनौतियां…पाकिस्तान और चीन से तुलना
पाकिस्तान के पास फिलहाल 8 पनडुब्बियां हैं, लेकिन वह चीन की मदद से नई पनडुब्बियां जोड़ रहा है। ये नई पनडुब्बियां भी AIP तकनीक से लैस होंगी, जिससे वे लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकेंगी.
वहीं चीन के पास 69 पनडुब्बियां हैं, जिनमें 12 परमाणु शक्ति से चलने वाली हैं। चीन की पनडुब्बियां लगातार आधुनिक हो रही हैं और एंटी-शिप मिसाइलों से लैस हैं, जिससे हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक चुनौतियां बढ़ रही हैं.
