भारत-रूस संबंधों में नई ऊर्जा: जयशंकर का रूस दौरा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर का हालिया दौरा रूस, भारत की कूटनीति और ऊर्जा नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने रूस से सस्ते तेल की आपूर्ति सुनिश्चित की और व्यापार घाटे को कम करने के लिए ठोस सुझाव दिए। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के बावजूद, भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया है। जयशंकर ने द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाने और सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें इस यात्रा के प्रमुख पहलू और भविष्य की संभावनाएँ।
 | 
भारत-रूस संबंधों में नई ऊर्जा: जयशंकर का रूस दौरा

जयशंकर का रूस दौरा: एक नई कूटनीतिक दिशा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर का हालिया दौरा रूस, भारत की कूटनीति और आर्थिक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह यात्रा उस समय हुई जब अमेरिका ने भारत पर तेल आयात के लिए अतिरिक्त टैरिफ लागू किए हैं और पश्चिमी दबाव बढ़ रहा है। इसके बावजूद, जयशंकर ने रूस से सस्ते दाम पर तेल की आपूर्ति सुनिश्चित की और दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए ठोस सुझाव दिए।


भारत की ऊर्जा नीति में बदलाव

भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, रूस से सस्ता कच्चा तेल एक महत्वपूर्ण संसाधन बन गया है। जयशंकर ने बताया कि व्यापार संतुलन बनाए रखने के लिए भारत और रूस को केवल तेल व्यापार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि कृषि, विज्ञान-तकनीक, परिवहन और वित्तीय क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाना चाहिए। उन्होंने रुपया-रूबल लेन-देन और यूरोएशियन इकोनॉमिक यूनियन एफटीए को शीघ्र अंतिम रूप देने का सुझाव दिया, जिससे अमेरिकी टैरिफ और डॉलर-आधारित दबाव को दरकिनार किया जा सके। इस यात्रा ने यह स्पष्ट किया कि भारत बाहरी दबावों के बावजूद अपनी ऊर्जा और आर्थिक नीतियों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करेगा।


भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती

अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के बावजूद, रूस भारत को सस्ते दामों पर तेल उपलब्ध करा रहा है और यह भी आश्वासन दे रहा है कि उसके पास ऐसे तंत्र हैं जो अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम कर सकते हैं। भारत की ऊर्जा नीति आज एक रणनीतिक दृष्टि और आर्थिक समझदारी का परिचायक है, जो न केवल अपने हितों की रक्षा कर रही है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मजबूत संदेश दे रही है। सस्ते कच्चे तेल की खरीद से भारत ने ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित की है, जिससे घरेलू ईंधन बाजार को राहत मिली है और महंगाई पर नियंत्रण पाया गया है।


स्मार्ट ऊर्जा रणनीति

भारत की यह नीति एक ऊर्जा-स्मार्ट रणनीति का संकेत देती है, जिसमें वह वैश्विक संकट को अवसर में बदलते हुए अपने नागरिकों को सस्ता ईंधन उपलब्ध करा रहा है और निर्यात से राजस्व बढ़ा रहा है। इसके साथ ही, भारत और रूस ने मिलकर अमेरिकी दबाव का सामना करने और वैकल्पिक तंत्र विकसित करने का संकेत दिया है। रूस भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार है, जबकि BRICS जैसे मंच पर सहयोग से अमेरिका और G7 की एकध्रुवीय पकड़ कमजोर हो रही है।


भविष्य की संभावनाएँ

आने वाले समय में, अमेरिका के टैरिफ और दंडात्मक कदम और कड़े हो सकते हैं। लेकिन भारत और रूस के पास संयुक्त रणनीतियाँ हैं, जिसके तहत रूस भारत के लिए प्रमुख सप्लायर बना रहेगा। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी विदेश नीति रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित है। आने वाले समय में, भारत और रूस की यह साझेदारी न केवल अमेरिकी दबाव का मुकाबला करने में सहायक होगी, बल्कि वैश्विक परिदृश्य में एक नए आर्थिक और भू-राजनीतिक ध्रुव की नींव भी रखेगी।


जयशंकर की महत्वपूर्ण बैठकें

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्को में प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने रूसी टेलीविजन पर अपने भाषण में कहा कि भारत और रूस को द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाकर और अधिक संयुक्त उद्यमों के माध्यम से अपने सहयोग को बढ़ाना चाहिए। उनका यह दौरा इस वर्ष के अंत में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के लिए आधार तैयार करने का उद्देश्य रखता था।