IIT दिल्ली का AI एजेंट AILA: वैज्ञानिकों की तरह करेगा रिसर्च
IIT दिल्ली का AI एजेंट AILA
आईआईटी दिल्ली ने तैयार किया AILA (सांकेतिक तस्वीर)
IIT दिल्ली AI वैज्ञानिक: भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का युग आने की उम्मीद है। वर्तमान में, AI मॉडल जैसे ChatGPT मुख्य रूप से डिजिटल सहायक के रूप में कार्य कर रहे हैं, जो दस्तावेज़ बनाने, प्रश्नों के उत्तर देने और डेटा का विश्लेषण करने में मदद करते हैं। लेकिन अब AI वैज्ञानिकों की तरह रिसर्च भी करेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली ने AI एजेंट AILA (आर्टिफिशियली इंटेलिजेंट लैब असिस्टेंट) विकसित किया है, जो वास्तविक वैज्ञानिकों की तरह अनुसंधान और प्रयोग करने में सक्षम है। इसका लाइव डेमो 23 दिसंबर 2025 को IIT दिल्ली परिसर में प्रदर्शित किया जाएगा।
आइए जानते हैं कि IIT दिल्ली का AI एजेंट AILA असली वैज्ञानिकों की तरह रिसर्च कैसे कर सकता है।
IIT दिल्ली ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग से किया रिसर्च
IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने डेनमार्क और जर्मनी के सहयोग से AI एजेंट AILA का विकास किया है। AILA पर की गई पहली रिसर्च हाल ही में नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुई है, जिसका शीर्षक है 'फोर्स माइक्रोस्कोपी के ऑटोमेशन के लिए बड़े लैंग्वेज मॉडल एजेंटों का मूल्यांकन'।
इस अध्ययन में IIT दिल्ली के स्कूल ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च के PhD छात्र इंद्रजीत मंडल, प्रो. एनएम अनूप कृष्णन (सिविल इंजीनियरिंग और यार्डी स्कूल ऑफ AI, IIT दिल्ली) और प्रो. नित्यानंद गोस्वामी (मटीरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग, IIT दिल्ली) शामिल हैं। इसके अलावा, जितेंद्र सोनी (IIT दिल्ली), ज़ाकी (IIT दिल्ली), मोर्टन एम स्मेडस्केयर (आलबोर्ग यूनिवर्सिटी, डेनमार्क), कैटरिन वोंड्राज़ेक (लाइबनिज़ इंस्टीट्यूट ऑफ फोटोनिक टेक्नोलॉजी, जर्मनी), और लोथर वोंड्राज़ेक (जेना यूनिवर्सिटी, जर्मनी) भी इस परियोजना में शामिल हैं।
24 घंटे का काम अब 10 मिनट में
IIT दिल्ली के PhD छात्र इंद्रजीत मंडल ने बताया कि AILA रोज़मर्रा के प्रयोगात्मक कार्यों में सहायता करता है और अनुसंधान की गति को काफी बढ़ाता है। पहले, उच्च-रिज़ॉल्यूशन, नॉइज़-फ्री इमेज के लिए माइक्रोस्कोप के पैरामीटर को ऑप्टिमाइज करने में पूरा दिन लग जाता था, लेकिन अब AILA वही कार्य केवल 7-10 मिनट में पूरा कर देता है।
AILA कैसे करता है रिसर्च
यह अनुसंधान एटॉमिक फोर्स माइक्रोस्कोप (AFM) पर केंद्रित था, जो अत्यंत छोटे पैमाने पर सामग्री की जांच करता है। AILA इस जटिल उपकरण को नियंत्रित कर सकता है, प्रयोग के दौरान वास्तविक समय में निर्णय ले सकता है और परिणामों का स्वतंत्र रूप से विश्लेषण कर सकता है। प्रो. अनूप कृष्णन ने बताया कि पहले, AI केवल विज्ञान के बारे में लिखने में मदद कर सकता था, लेकिन अब यह वास्तव में प्रयोग कर सकता है। इसके साथ ही, यह डिज़ाइन करना, उन्हें वास्तविक उपकरणों पर चलाना, डेटा इकट्ठा करना और परिणामों की व्याख्या करना भी कर सकता है।
सालों में सीखे जाने वाले कार्य AILA अपने आप कर रहा
प्रोफेसर नित्या नंद गोस्वामी ने कहा कि एटॉमिक फोर्स माइक्रोस्कोप सामग्री अनुसंधान में सबसे जटिल और संवेदनशील वैज्ञानिक उपकरणों में से एक है। इसे प्रभावी ढंग से चलाने के लिए नैनो स्केल भौतिकी, वास्तविक समय फीडबैक और नियंत्रण की गहरी समझ की आवश्यकता होती है। ये ऐसे कौशल हैं, जिन्हें सीखने में आमतौर पर शोधकर्ताओं को वर्षों लगते हैं। AILA का इन कार्यों को अपने आप करना प्रयोगात्मक विज्ञान में एक बड़ा बदलाव है।
चुनौतियां भी बनी हुई हैं
AI एजेंट AILA के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान में कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं। अनुसंधान ने यह पाया है कि विज्ञान के प्रश्नों के उत्तर देने में उत्कृष्टता का मतलब यह नहीं है कि AI अपने आप वैज्ञानिक अनुसंधान में भी अच्छा होगा। इंद्रजीत ने कहा कि यह टेक्स्टबुक से ड्राइविंग के नियम जानने और व्यस्त शहर के ट्रैफिक में गाड़ी चलाने के बीच के अंतर जैसा है। इस अनुसंधान में सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चिंताएं भी सामने आई हैं, क्योंकि AI एजेंट कभी-कभी निर्देशों से भटक जाते थे।
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