IAS अधिकारी के अनुभव: संकट प्रबंधन और वैश्विक यात्रा

इस लेख में एक सेवानिवृत्त IAS अधिकारी के अनुभवों का वर्णन किया गया है, जिसमें संकट प्रबंधन की चुनौतियाँ और वैश्विक यात्रा के अवसर शामिल हैं। उन्होंने अपने करियर में विभिन्न जिम्मेदारियों का सामना किया और बताया कि कैसे IAS की भूमिका बदल रही है। यह लेख न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे नौकरशाही में बदलाव की आवश्यकता है।
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IAS अधिकारी के अनुभव: संकट प्रबंधन और वैश्विक यात्रा

एक IAS अधिकारी के अनुभव

DV PRASAD IAS (सेवानिवृत्त)


36 वर्षों की सेवा के बाद, मैंने अक्सर महसूस किया कि मेरा करियर दैनिक संकटों, प्रोटोकॉल कार्यों और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में व्यस्त रहा।


हालांकि ये जिम्मेदारियाँ महत्वपूर्ण हैं, मेरा मानना है कि राष्ट्र निर्माण में सार्थक योगदान मुख्य रूप से उच्च स्तर की नौकरशाही तक सीमित है।


राजस्थान के नए ऊर्जा सचिव, जो स्वयं IAS अधिकारी हैं, ने भी इस बात पर जोर दिया कि संकटों के बीच प्रोटोकॉल और प्रशासनिक कार्यों के बीच संतुलन बनाना कितना चुनौतीपूर्ण है। भारत की विशाल जनसंख्या और व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता को देखते हुए, IAS अधिकारियों की भूमिका को आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव डालने वाले संकट प्रबंधन पर केंद्रित करने के लिए फिर से परिभाषित किया जा सकता है।


मैं IAS अधिकारियों द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को कम नहीं कर रहा हूँ; बल्कि, मैं यह सुझाव दे रहा हूँ कि परिदृश्य बदल गया है। IAS अधिकारियों का राष्ट्र-निर्माता के रूप में युग शायद समाप्त हो गया है। अब उनकी भूमिका को संकट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अनुकूलित करने की आवश्यकता हो सकती है।


यह विचार IAS कैडर के महत्व को कम करने के लिए नहीं है, बल्कि शासन की बदलती प्रकृति को स्वीकार करने और नौकरशाहों को अपनी भूमिकाओं को समायोजित करने की आवश्यकता को मान्यता देने के लिए है।


संकट प्रबंधन का अनुभव

एक युवा IAS अधिकारी के रूप में, मैंने एक ऐसी वास्तविकता का सामना किया जो मेरे शिक्षण के अनुभव से बिल्कुल विपरीत थी। 1989-90 में कोलार जिले में धार्मिक तनावों का अनुभव करना एक चौंकाने वाला अनुभव था।


जिला कलेक्टर के रूप में, मुझे स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कठिन निर्णय लेने पड़े। कोलार शहर में दो महीने तक कर्फ्यू लगाना अंतिम उपाय था, लेकिन यह आवश्यक था ताकि जीवन-निर्वाह के आर्थिक गतिविधियाँ फिर से शुरू हो सकें। यह एक चुनौतीपूर्ण समय था, लेकिन इसने मुझे संकट प्रबंधन, नेतृत्व और समुदाय में शांति बहाल करने के महत्व के बारे में महत्वपूर्ण सबक सिखाए।


यह अनुभव मेरे करियर का एक निर्णायक क्षण था और इसने भारत जैसे विविध देश में शासन की जटिलताओं को उजागर किया।


अधिकारी की भूमिका

कई घटनाएँ हैं, लेकिन मैं उन्हें साझा नहीं करना चाहता। मैं उस समय मुख्यमंत्री के सचिव था जब कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे।


एक अधिकारी के रूप में, आपको दैनिक कार्यों का प्रबंधन करना होता है। मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में काम करना प्रधानमंत्री के सचिव के रूप में काम करने से अलग है।


यदि मैं IAS अधिकारी नहीं होता, तो मैं निश्चित रूप से एक वकील होता। लेकिन अब मुझे कोई पछतावा नहीं है क्योंकि IAS ने मुझे जो विविधता और अनुभव दिया है, वह किसी और नौकरी में नहीं मिल सकता।


वैश्विक यात्रा का अनुभव

यह नौकरी मुझे दुनिया भर में यात्रा करने का अवसर देती है। मैंने कई देशों का दौरा किया, जिनमें अमेरिका, ब्राजील, और जिनेवा शामिल हैं।


मेरी सबसे सुखद अवधि भारत सरकार में थी, जहाँ मैंने नीतियों पर काम किया और तत्काल संकटों का सामना नहीं करना पड़ा।


हालांकि, अब मैं खुश हूँ कि मैंने वकील बनने का विकल्प नहीं चुना और IAS में शामिल होकर कई प्रकार के कार्य किए।


कोविड-19 का संकट

कोविड-19 महामारी के दौरान, यह संकट प्रबंधन का सर्वोत्तम उदाहरण था। रेलवे, स्वास्थ्य, पुलिस और खाद्य निगम ने चौकसी से काम किया।


दिल्ली में FCI मुख्यालय में 300 कर्मचारियों के साथ, हमने केवल 10-12 लोगों के साथ देश भर में खाद्यान्न की सबसे बड़ी आवाजाही का प्रबंधन किया।


यह प्रबंधन इतना प्रभावी था कि इसे सिविल सेवकों के लिए प्रशिक्षण मैनुअल में शामिल किया गया।


एक समृद्ध यात्रा

एक विशेष पृष्ठभूमि से आने के कारण मुझे आत्मविश्वास मिला, लेकिन IAS अधिकारी के रूप में मुझे ज्ञान और दृष्टिकोण प्राप्त हुआ।


दिल्ली में जन्मे और अपने दादा के राष्ट्रपति बनने के समय, मैंने जीवन के प्रति एक अनूठा दृष्टिकोण विकसित किया।


मेरी पहली नौकरी भारतीय रेलवे में थी, और यह मेरे लिए एक यादगार अनुभव था।