G20 समिट में भारत का प्रभावी कदम, अमेरिका को मिला कड़ा संदेश
G20 समिट में ऐतिहासिक निर्णय
भारत में आयोजित G20 समिट में एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है, जिसने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। अमेरिका के लिए यह एक बड़ी खबर है, जिसने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को चौंका दिया है। अमेरिका के बहिष्कार के बावजूद, G20 समिट में एक महत्वपूर्ण निर्णय पर सहमति बन गई है, जो कि असामान्य है। इस समिट में पीएम मोदी के समक्ष साउथ अफ्रीका से ट्रंप को एक स्पष्ट संदेश दिया गया।
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बहिष्कार के बावजूद, G20 समिट के पहले दिन सभी सदस्य देशों ने साउथ अफ्रीका द्वारा प्रस्तुत घोषणापत्र को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है।
साउथ अफ्रीका का दृष्टिकोण
साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों के बीच एक साझा बयान पर सहमत होना अत्यंत आवश्यक था। उन्होंने बताया कि बाकी 19 देशों ने बिना किसी मतभेद के दस्तावेज को स्वीकार किया है। रामाफोसा ने यह भी कहा कि अमेरिका की अनुपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि दुनिया रुक जाएगी। G20 का उद्देश्य सामूहिक सहमति के साथ आगे बढ़ना है।
पीएम मोदी ने G20 समिट के पहले दिन दो सत्रों में भाग लिया। पहले सत्र में, उन्होंने वैश्विक चुनौतियों पर भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और पुराने विकास मॉडल पर पुनर्विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पुराने विकास मॉडल ने संसाधनों का शोषण किया है, जिसे बदलना आवश्यक है। दूसरे सत्र में, पीएम मोदी ने मोटे अनाज, जलवायु परिवर्तन, G20 सेटेलाइट डेटा साझेदारी और आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर चर्चा की।
भारत की वैश्विक भूमिका
अब दुनिया की हर प्रमुख अर्थव्यवस्था भारत के महत्व को नजरअंदाज नहीं कर सकती। भारत के पास युवा प्रतिभा, डिजिटल बुनियादी ढांचा, स्थिर लोकतंत्र और एक स्वतंत्र विदेश नीति है। भारत ने अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, वियतनाम और अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है, जो यह दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक शक्ति संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
एक महत्वपूर्ण बात जो शायद खुलकर नहीं कही जा रही है, वह यह है कि वैश्विक शक्ति का यह बदलाव केवल देशों के बीच नहीं, बल्कि प्रणालियों के बीच भी हो रहा है। एक ओर अमेरिकी मॉडल है, जहां नेतृत्व अक्सर राजनीतिक व्यक्तित्वों पर निर्भर होता है, जबकि भारत जैसे देशों में नेतृत्व संस्थाओं, नीतियों और निरंतरता पर आधारित है। यही कारण है कि अमेरिका की बदलती सरकार तुरंत अपनी विदेश नीति में बदलाव करती है, जबकि भारत का दृष्टिकोण स्थिर रहता है।
