FATF की रिपोर्ट में राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर पहली बार चर्चा

FATF ने अपनी हालिया रिपोर्ट में पहली बार 'राज्य प्रायोजित आतंकवाद' पर चर्चा की है, जो भारत की लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को वैश्विक मान्यता देती है। रिपोर्ट में पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण का स्रोत बताया गया है, जिससे भारत की कूटनीतिक स्थिति मजबूत हुई है। यह रिपोर्ट न केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता को भी उजागर करती है। जानें इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु और इसके संभावित प्रभाव।
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FATF की रिपोर्ट में राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर पहली बार चर्चा

FATF की नई रिपोर्ट में आतंकवाद का वित्तपोषण

आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था FATF (Financial Action Task Force) ने अपनी जुलाई 2025 की रिपोर्ट में पहली बार 'राज्य प्रायोजित आतंकवाद' पर एक विशेष अनुभाग जोड़ा है। यह न केवल FATF की रिपोर्टिंग में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, बल्कि भारत की लंबे समय से चली आ रही चिंता को भी वैश्विक मान्यता देता है, जिसमें पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण का स्रोत बताया गया है।




भारत ने 2022 में अपनी राष्ट्रीय आतंकवाद एवं धनशोधन जोखिम आकलन रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि पाकिस्तान राज्य प्रायोजित आतंकवाद के माध्यम से आतंकवादियों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है। FATF की हालिया रिपोर्ट में भी इसी बात पर जोर दिया गया है कि कुछ राष्ट्रीय सरकारें सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकी संगठनों को वित्तीय, सामग्री, प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक सहायता देती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, “प्रतिनिधिमंडलों ने इस प्रवृत्ति की जानकारी दी है, जिसमें कुछ संगठनों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त रहने के दौरान राज्य प्रायोजन का उपयोग या तो फंड जुटाने की तकनीक के रूप में या फिर वित्तीय प्रबंधन रणनीति का हिस्सा बनने के रूप में किया गया।” 




FATF ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुछ राष्ट्रीय सरकारों द्वारा आतंकवादी संगठनों को वित्तीय और अन्य समर्थन दिया गया है और यह आज भी जारी है। यह बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चेतावनी है और भारत के लिए एक रणनीतिक और नैतिक जीत भी है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के वित्तीय नेटवर्क और उनके फंडिंग पैटर्न पर भी चर्चा की गई है। ये वही संगठन हैं जो भारत में कई बड़े आतंकी हमलों जैसे पुलवामा, उरी और पठानकोट में शामिल रहे हैं।




FATF की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद न केवल अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह क्षेत्रीय आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता को भी प्रभावित करता है। रिपोर्ट कहती है कि जब कोई देश आतंकवाद को सरकारी समर्थन देता है, तो वह केवल सीमा पार नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता को आमंत्रित करता है।




दूसरी ओर, FATF की यह मान्यता भारत को वैश्विक मंच पर अधिक नैतिक बल प्रदान करती है। यह रिपोर्ट संभावित रूप से पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट या ब्लैक लिस्ट में डालने की पृष्ठभूमि तैयार कर सकती है, खासकर यदि आगे की जांचों में और सबूत मिलते हैं। साथ ही, यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों पर भी दबाव बनाएगी कि वे राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ अधिक कठोर रुख अपनाएं।




बहरहाल, FATF की इस ऐतिहासिक रिपोर्ट ने भारत के लंबे समय से रखे जा रहे उस रुख को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दी है जिसमें पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण का एक संगठित स्रोत बताया गया था। अब जबकि FATF ने 'राज्य प्रायोजित आतंकवाद' को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है, तो भारत की कूटनीतिक स्थिति और मजबूत हुई है और विश्व समुदाय पर यह दबाव बना है कि आतंक को समर्थन देने वाले देशों के खिलाफ संगठित और कठोर कार्रवाई की जाए। FATF की यह रिपोर्ट एक नीतिगत बदलाव का संकेत तो है ही, साथ ही यह एक बड़ा नैरेटिव शिफ्ट भी है, जिसमें भारत के दीर्घकालिक रुख को वैश्विक मान्यता मिली है।