EPFO के नए फेस ऑथेंटिकेशन नियम से कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स में चिंता

भारत में 18 लाख से अधिक कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन (ISF) ने EPFO के नए फेस ऑथेंटिकेशन नियमों पर चिंता जताई है। नए नियमों के तहत, UAN का आवंटन अब UMANG ऐप के माध्यम से फेस पहचान के साथ अनिवार्य हो गया है, जिससे कई कर्मचारियों का ऑनबोर्डिंग रुक गया है। ISF ने EPFO से FAT को वैकल्पिक रखने और पुराने तरीकों से UAN बनाने की अनुमति देने की अपील की है। जानें इस मुद्दे के पीछे की समस्याएं और ISF के सुझाव।
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EPFO के नए फेस ऑथेंटिकेशन नियम से कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स में चिंता

UAN के नए नियमों पर ISF की चिंता

भारत में 18 लाख से अधिक कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स का प्रतिनिधित्व करने वाला इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन (ISF) ने हाल ही में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा लागू किए गए नए नियमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।


1 अगस्त 2025 से, EPFO ने यह अनिवार्य कर दिया है कि यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) का आवंटन और सक्रियण केवल UMANG ऐप के माध्यम से फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी (FAT) से किया जाएगा। इसका अर्थ है कि नए कर्मचारियों के लिए पीएफ खाता खोलने के लिए अब मोबाइल ऐप पर चेहरे की पहचान आवश्यक होगी। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।


UAN क्या है?

EPFO हर कर्मचारी को एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्रदान करता है, जो विभिन्न नौकरी परिवर्तनों के दौरान मिले अलग-अलग पीएफ अकाउंट नंबरों को एकत्रित करता है। हालांकि, UMANG ऐप पर नए FAT नियम के कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।


नई समस्याएं

ISF का कहना है कि FAT नियम लागू होने के बाद केवल 2 दिनों में 1,000 से अधिक कर्मचारियों का ऑनबोर्डिंग रुक गया है, जिससे पेरोल और पीएफ योगदान की प्रक्रिया प्रभावित हुई है।


कई स्टाफिंग कंपनियों में अस्थायी और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की संख्या अधिक होती है, जहां रोज नए लोग शामिल होते हैं। FAT प्रक्रिया के कारण समय अधिक लग रहा है, और कई कर्मचारियों के पास स्मार्टफोन या इंटरनेट की सुविधा नहीं है, जिससे प्रक्रिया और धीमी हो गई है।


UAN बनाने में बाधाएं

पहले कंपनियां बल्क में UAN बना सकती थीं, लेकिन अब आधार लिंकिंग और FAT के बिना यह संभव नहीं है। इससे पीएफ क्रेडिट में देरी हो रही है और कर्मचारियों का विश्वास भी प्रभावित हो रहा है।


तकनीकी समस्याएं

ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में कई कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स डिजिटल सिस्टम से अपरिचित हैं। फेस रिकॉग्निशन में विफलता, खराब कैमरा गुणवत्ता, या इंटरनेट की कमी जैसी समस्याएं लगातार सामने आ रही हैं।


डेडलाइन का दबाव

EPFO ने FAT और आधार लिंकिंग के लिए 30 जून 2025 की समयसीमा निर्धारित की है। इस समय सीमा को पूरा करना कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो रहा है, और डेडलाइन चूकने पर पेनाल्टी और पीएफ योगदान में देरी का खतरा है।


रोजगार पर प्रभाव

यदि कोई नया कर्मचारी तकनीकी कारणों से FAT नहीं कर पाता है, तो उसका पीएफ अकाउंट नहीं बन पाता, जिससे नौकरी का ऑफर भी रुक सकता है, विशेषकर पहली बार नौकरी करने वालों के लिए।


ISF के सुझाव

ISF ने EPFO से अनुरोध किया है कि FAT को फिलहाल वैकल्पिक रखा जाए और कंपनियों को पुराने तरीकों से UAN बनाने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही, आधार अपडेट और डिजिटल जागरूकता के लिए विशेष अभियान चलाने की सिफारिश की गई है।