Eli Lilly का भारत में ₹8880 करोड़ का निवेश: दवा निर्माण में नई क्रांति

अमेरिकी दवा कंपनी Eli Lilly ने भारत में अपने उत्पादन को बढ़ाने के लिए ₹8880 करोड़ का निवेश करने की घोषणा की है। यह कदम भारतीय दवा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो वैश्विक स्तर पर दवाओं की आपूर्ति को मजबूत करेगा। कंपनी का लक्ष्य मोटापे, डायबिटीज, और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में दवाओं की उपलब्धता को बढ़ाना है। इसके साथ ही, हैदराबाद में एक नया मैन्युफैक्चरिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा, जिससे स्थानीय रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
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Eli Lilly का भारत में ₹8880 करोड़ का निवेश: दवा निर्माण में नई क्रांति

Eli Lilly का बड़ा निवेश

Eli Lilly का भारत में ₹8880 करोड़ का निवेश: दवा निर्माण में नई क्रांति


अमेरिकी दवा कंपनी एली लिली (Eli Lilly) ने भारत में अपने उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक अरब डॉलर (लगभग 8880 करोड़ रुपये) का निवेश करने की घोषणा की है। कंपनी ने सोमवार को बताया कि यह राशि भारतीय दवा निर्माताओं के साथ साझेदारी में खर्च की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य भारत के कुशल कार्यबल का लाभ उठाकर वैश्विक स्तर पर दवाओं की आपूर्ति को मजबूत करना है।


भारत में दवा निर्माण का नया युग

यह निवेश भारतीय दवा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो दर्शाता है कि वैश्विक कंपनियां भारत को केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक प्रमुख निर्माण केंद्र के रूप में देख रही हैं। इससे उन मरीजों को लाभ होगा जो मोटापे, डायबिटीज, अल्जाइमर, कैंसर और ऑटोइम्यून बीमारियों से ग्रस्त हैं। एली लिली का लक्ष्य इन बीमारियों के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं की उपलब्धता को बढ़ाना है।


सप्लाई चेन को मजबूत करना

एली लिली इंटरनेशनल के अध्यक्ष पैट्रिक जॉनसन ने इस निवेश को कंपनी की वैश्विक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि भारत हमारे वैश्विक नेटवर्क का एक प्रमुख निर्माण केंद्र है। हालांकि, कंपनी का कोई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भारत में नहीं है, बल्कि यह स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर काम करती है।


रिपोर्ट के अनुसार, एली लिली भारत में अनुबंध निर्माताओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रही है। यह योजना उस समय आई है जब अन्य वैश्विक दवा निर्माता अमेरिका में उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।


भारत में दवाओं की बढ़ती मांग

एली लिली ने हाल ही में भारत में मोटापे के इलाज के लिए अपनी प्रमुख दवा 'मोंजारो' लॉन्च की है। इसके साथ ही, डेनमार्क की कंपनी नोवो नॉर्डिस्क की दवा 'वेगॉवी' ने भी बाजार में हलचल मचाई है। अनुमान है कि 2050 तक भारत मोटापे से ग्रस्त दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन सकता है।


हालांकि, एली लिली को भारतीय जेनेरिक दवा निर्माताओं से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, जो 'वेगॉवी' के घटक का सस्ता संस्करण लाने की तैयारी कर रहे हैं।


हैदराबाद में नया मैन्युफैक्चरिंग सेंटर

एली लिली हैदराबाद में एक नया मैन्युफैक्चरिंग और क्वालिटी सेंटर स्थापित कर रही है। यह सेंटर कंपनी के मौजूदा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर के अतिरिक्त होगा। नए हब की जिम्मेदारी भारत में कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क की देखरेख करना और तकनीकी सहायता प्रदान करना होगी।


कंपनी ने इस नए सेंटर के लिए भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू करने की योजना बनाई है, जिसमें इंजीनियर, केमिस्ट, एनालिटिकल साइंटिस्ट और अन्य विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी। यह कदम न केवल दवाओं की आपूर्ति में सुधार करेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।