DMK का केंद्र पर VB-G RAM G बिल को लेकर तीखा हमला

तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK ने केंद्र सरकार पर नए VB-G RAM G बिल को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। DMK का कहना है कि इस बिल में महात्मा गांधी का नाम हटाना केवल एक मुद्दा नहीं है, बल्कि इसके कई अन्य गंभीर पहलू भी हैं। पार्टी ने इस बिल के तहत रोजगार की गारंटी और राज्य की स्वायत्तता पर सवाल उठाए हैं। जानें DMK ने इस बिल का विरोध करने के लिए क्या कारण बताए हैं और यह योजना किस प्रकार से प्रभावित कर सकती है।
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DMK का केंद्र पर VB-G RAM G बिल को लेकर तीखा हमला

DMK का केंद्र सरकार पर आरोप

DMK का केंद्र पर VB-G RAM G बिल को लेकर तीखा हमला


तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK ने शनिवार को केंद्र सरकार पर नए VB-G RAM G बिल को लेकर तीखा हमला किया। पार्टी ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना केवल एक मुद्दा नहीं है। DMK का दावा है कि इस नए बिल में 125 दिनों के काम की कोई ठोस गारंटी नहीं है और इसमें ऐसे प्रावधान हैं जो किसी भी समय योजना को रोकने की अनुमति देते हैं।


गांधी का नाम हटाना मुख्य मुद्दा नहीं

DMK के मुखपत्र ‘मुरासोली’ ने कहा कि गांधी का नाम हटाना अकेला मुद्दा नहीं है, बल्कि इस योजना का मूल उद्देश्य ही समाप्त किया गया है। संपादकीय में कहा गया है कि गांधी जी का नाम हटाने से उनकी छवि पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि लोग उन्हें और अधिक याद करेंगे।


बिल के विरोध के कारण

DMK ने G राम G ग्रामीण रोजगार गारंटी बिल का विरोध करने के लिए 10 कारण बताए हैं। पार्टी ने इस नाम को खारिज करते हुए कहा कि इसका उच्चारण करना भी कठिन है। यह बिल, जो ग्रामीण भारत के लिए 125 दिनों की गारंटीकृत नौकरियों का आश्वासन देता है, संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जा चुका है।


फंड का वितरण और राज्य की स्वायत्तता

नई योजना में फंड का शेयरिंग रेशियो 60:40 रखा गया है, जिसमें 40 प्रतिशत फंड राज्य सरकारों को देना होगा। DMK ने इसे राज्य के फंड की लूट करार दिया है। पार्टी ने कहा कि इस योजना में बुवाई और कटाई के मौसम में काम नहीं होगा, जिससे प्रभावित होने वाले लोग खेती से जुड़े नहीं होंगे।


योजना को रोकने की संभावना

DMK ने यह भी बताया कि नई योजना को कुछ डेटा के आधार पर रोका जा सकता है, यह दावा करते हुए कि गरीबी समाप्त हो गई है। पहले के कानून के अनुसार नौकरी पाना लोगों का अधिकार था, लेकिन नए बिल के अनुसार, नौकरी तभी दी जाएगी जब उपलब्ध होगी।


संघवाद और राज्य की स्वायत्तता पर प्रभाव

DMK ने कहा कि यह नई पहल संघवाद और राज्य की स्वायत्तता के खिलाफ है, क्योंकि इसमें केंद्र को हर राज्य के लिए नौकरियों का निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। यह प्रावधान गैर-बीजेपी शासित राज्यों के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है।