रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आईएनएस विक्रांत दौरा: समुद्री शक्ति का प्रदर्शन

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में आईएनएस विक्रांत का दौरा किया, जो ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद हुआ। इस यात्रा का उद्देश्य भारत की बढ़ती समुद्री क्षमताओं को प्रदर्शित करना और नौसेना के कर्मियों का मनोबल बढ़ाना था। आईएनएस विक्रांत, जो एक शक्तिशाली युद्धपोत है, ने पाकिस्तान को एक मजबूत निवारक संकेत दिया है। जानें इस दौरे के महत्व और ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति के बारे में।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आईएनएस विक्रांत दौरा: समुद्री शक्ति का प्रदर्शन

रक्षा मंत्री का महत्वपूर्ण दौरा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को ऑपरेशन सिंदूर की सफलतापूर्वक समाप्ति के बाद स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर जाकर भारत की समुद्री क्षमताओं को प्रदर्शित किया। यह यात्रा केवल औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह भारत के दुश्मनों, विशेषकर पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक शक्ति प्रदर्शन था, जो इस युद्धपोत की क्षमताओं को लेकर चिंतित है।


आईएनएस विक्रांत की तैनाती

आईएनएस विक्रांत वर्तमान में अरब सागर में तैनात है। यह दौरा भारतीय नौसेना के रणनीतिक कैरियर बैटल ग्रुप के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कुछ हफ्तों बाद हुआ है। अपनी यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह ने मिशन के परिचालन परिणामों की समीक्षा की और तैनाती में शामिल नौसेना कर्मियों से बातचीत की। पाकिस्तान पर दबाव डालने में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद उनकी यात्रा को बलों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला माना जा रहा है।


ऑपरेशन सिंदूर: एक महत्वपूर्ण मोड़

भारतीय नौसेना ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक पूरा किया, जो उत्तरी अरब सागर में शक्ति का एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन था। इस ऑपरेशन में INS विक्रांत ने 8 से 10 जहाजों के एक मजबूत कैरियर बैटल ग्रुप का नेतृत्व किया, जिसमें स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट और विध्वंसक शामिल थे। उनके समन्वित युद्धाभ्यास ने पाकिस्तान को एक मजबूत निवारक संकेत दिया।


ऑपरेशन सिंदूर में आईएनएस विक्रांत की भूमिका

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना ने अपने कैरियर बैटल ग्रुप के साथ उत्तरी अरब सागर में अग्रिम तैनाती की। INS विक्रांत ने इस समूह का नेतृत्व किया, जिसमें विध्वंसक और स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट जैसे 8 से 10 युद्धपोत शामिल थे। इस तैनाती ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि यदि उसने तनाव बढ़ाया, तो भारतीय नौसेना उसके युद्धपोतों और जमीनी ठिकानों को निशाना बना सकती है। परिणामस्वरूप, पाकिस्तानी नौसेना कराची नौसैनिक अड्डे से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और युद्धविराम की मांग की।


पाकिस्तान का आईएनएस विक्रांत से डर

पाकिस्तान आईएनएस विक्रांत से डरता है, और यह कोई रहस्य नहीं है। पाकिस्तान की नौसैनिक ताकत सीमित है, जिसमें 30 से कम युद्धपोत हैं। इसके विपरीत, INS विक्रांत एक शक्तिशाली युद्ध इकाई है, जो अपने कैरियर बैटल ग्रुप के साथ तैनात है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसकी तैनाती ने पाकिस्तानी नौसेना को कराची बंदरगाह छोड़ने से रोक दिया। यह जहाज न केवल समुद्र में युद्धपोतों को निशाना बना सकता है, बल्कि इसके लड़ाकू विमान और मिसाइलें जमीनी ठिकानों पर भी सटीक हमले कर सकती हैं।


राजनाथ सिंह का आईएनएस विक्रांत दौरा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जश्न मनाने और नौसेना के कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए आईएनएस विक्रांत का दौरा कर रहे हैं। इससे पहले, उन्होंने श्रीनगर में सेना और भुज में वायुसेना के अधिकारियों से मुलाकात की थी। INS विक्रांत पर उनकी उपस्थिति नौसेना की ताकत का संदेश देगी और भारत की रक्षा नीति को और मजबूत करेगी।


INS विक्रांत की विशेषताएँ

लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित INS विक्रांत को सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन द्वारा डिज़ाइन किया गया है और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है। 45,000 टन के इस विमानवाहक पोत में 76 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है।