भारतीय सेना का ड्रोन अभ्यास: उभरते हवाई खतरों के खिलाफ तैयारी
भारतीय सेना का ड्रोन और ड्रोन-प्रतिरोध अभ्यास
भारतीय सेना ने हाल ही में ड्रोन और ड्रोन-प्रतिरोध के लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास किया है, जिसका उद्देश्य उनके संचालन के लिए सैद्धांतिक ढांचे का विकास और परीक्षण करना है। इस अभ्यास से उभरते हवाई खतरों के प्रति बल की प्रतिक्रिया क्षमता को और मजबूत किया जाएगा।
यह अभ्यास, जिसे 'वायु समन्वय-द्वितीय' नाम दिया गया है, 28 और 29 अक्टूबर को दक्षिणी कमान के तहत रेगिस्तानी क्षेत्र के अग्रिम इलाकों में आयोजित किया गया। दक्षिणी कमान का मुख्यालय पुणे में स्थित है।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह अभ्यास यथार्थवादी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और प्रतिस्पर्धी परिचालन वातावरण में विभिन्न हवाई और जमीनी संसाधनों के समन्वय के माध्यम से अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए भारतीय सेना की तैयारी का परीक्षण करने के लिए आयोजित किया गया था।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस दो दिवसीय अभ्यास में ड्रोन और ड्रोन-रोधी अभियानों के लिए सैद्धांतिक ढांचे के विकास और परीक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे भारतीय सेना की उभरते हवाई खतरों के खिलाफ प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत किया जा सके। दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने इस अभ्यास की सफलता की सराहना की।
