भारतीय वायु सेना का जगुआर विमान फिर दुर्घटनाग्रस्त, पायलटों की मौत

भारतीय वायु सेना का जगुआर लड़ाकू विमान हाल ही में राजस्थान के चूरू जिले में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें दो पायलट शहीद हो गए। यह इस वर्ष का तीसरा जगुआर विमान हादसा है। वायु सेना ने घटना की पुष्टि की है और जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का गठन किया गया है। जानें इस विमान की विशेषताएँ और इसके पुराने होने के सवाल पर विशेषज्ञों की राय।
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भारतीय वायु सेना का जगुआर विमान फिर दुर्घटनाग्रस्त, पायलटों की मौत

जगुआर विमान की दुर्घटना

हाल के वर्षों में मिग 21 विमानों के कई हादसे सामने आए हैं, जिससे इसे 'उड़ता ताबूत' कहा जाने लगा है। पिछले 62 वर्षों में इस विमान के 200 से अधिक हादसे हो चुके हैं। अब एक बार फिर भारतीय वायु सेना के एक विमान ने चर्चा का विषय बना दिया है। पिछले पांच महीनों में यह विमान तीन बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है। ताजा घटना राजस्थान के चूरू जिले के भानुदा गाँव के पास हुई, जहां 9 जुलाई को एक जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में भारतीय वायु सेना (IAF) के दो पायलट शहीद हो गए। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, विमान बुधवार को लगभग 1:25 बजे सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरने के बाद एक खेत में गिर गया। वायु सेना ने पुष्टि की है कि दोनों पायलट गंभीर रूप से घायल हुए हैं। वायु सेना ने अपने सोशल मीडिया पर बताया कि यह जगुआर प्रशिक्षक विमान एक नियमित प्रशिक्षण मिशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। यह इस वर्ष का तीसरा जगुआर विमान है जो दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। इससे पहले, एक जगुआर विमान अप्रैल में गुजरात में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें एक पायलट की जान गई थी, और एक अन्य विमान मार्च में हरियाणा में गिरा था।


जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी

इस दुर्घटना की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का गठन किया गया है। 9 जुलाई को हुई यह घटना इस वर्ष का पांचवां विमान हादसा है। इससे पहले एक मिराज और एक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एन-32 भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। क्या जगुआर विमान पुराने हो गए हैं? इस पर भारतीय वायु सेना के पूर्व फाइटर पायलट विंग कमांडर रोहित काद्यान ने कहा कि उन्होंने इस फाइटर जेट को 20 वर्षों तक उड़ाया है। उन्होंने बताया कि एयरफोर्स का रखरखाव बहुत अच्छा है, लेकिन तकनीकी खराबी कब आ जाए, यह कोई नहीं जान सकता। जगुआर का कॉकपिट पायलट के अनुकूल है।


जगुआर की स्क्वॉड्रन और विशेषताएँ

भारतीय वायु सेना के पास जगुआर फाइटर जेट की छह स्क्वॉड्रन हैं। इस विमान का निर्माण ब्रिटेन और फ्रांस के सहयोग से किया गया था। इसकी उच्च विंग लोडिंग डिजाइन के कारण यह कम ऊंचाई पर स्थिर उड़ान भर सकता है और इसकी गति 1700 किलोमीटर प्रति घंटे है। यह ट्विन इंजन वाला एयरक्राफ्ट 1970 के दशक से भारतीय वायु सेना का हिस्सा है।


क्या यह विमान भी मिग 21 की तरह 'उड़ता ताबूत' बन गया है? मिग-21 के कई हादसों के कारण इसे इस नाम से जाना जाने लगा था। 2013 में, उस समय के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में बताया था कि 1963 से 2012 के बीच मिग-21 के 482 हादसे हुए, जिनमें 171 पायलटों की जान गई। विंग कमांडर काद्यान ने कहा कि जगुआर की तुलना मिग-21 से नहीं की जा सकती, क्योंकि मिग के अपने मुद्दे थे। जगुआर को कई बार अपग्रेड किया गया है और इसमें नवीनतम नेविगेशन तकनीक है। यह कम ऊंचाई पर भी बहुत स्थिर रहता है।