जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की

जनरल अनिल चौहान ने रांची में ऑपरेशन सिंदूर के पहले हमले की जानकारी साझा की, जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए किया गया था। उन्होंने सशस्त्र बलों में पारदर्शिता और राष्ट्र सेवा की प्रेरणा पर भी प्रकाश डाला। यह बयान आधुनिक संघर्षों और परमाणु खतरे के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। जानें इस ऑपरेशन के पीछे की कहानी और जनरल चौहान के विचार।
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जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की

ऑपरेशन सिंदूर का पहला हमला

रांची में गुरुवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर का पहला हमला 7 मई को सुबह 1 बजे नागरिकों की सुरक्षा के लिए किया गया था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों के जवाब में की गई, जिसमें भारत ने संयुक्त सैन्य कार्रवाई के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया।


सशस्त्र बलों में पारदर्शिता

अनिल चौहान ने कहा कि वह एक साधारण परिवार से हैं और सशस्त्र बलों में कोई भाई-भतीजावाद नहीं है। आपको आपके कार्य के लिए पहचान मिलती है। यह टिप्पणी सीडीएस चौहान ने झारखंड के रांची में स्कूली बच्चों के साथ बातचीत के दौरान की। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किए गए सटीक हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि रात के समय लंबी दूरी के लक्ष्यों पर हमलों के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता होती है।


राष्ट्र सेवा की प्रेरणा

सीडीएस ने यह भी कहा कि यदि कोई राष्ट्र की सेवा करना चाहता है और देश-विदेश की यात्रा करना चाहता है, तो उसे सशस्त्र बलों में शामिल होने की इच्छा रखनी चाहिए। उन्होंने पहले कहा था कि आधुनिक संघर्ष ने दिखाया है कि खतरा किसी भी स्तर पर उत्पन्न हो सकता है, जिसके लिए कड़ी तैयारी और क्षमता निर्माण आवश्यक है। परमाणु संघर्ष का खतरा अंतिम स्तर पर है, और उनका मानना है कि परमाणु हथियार युद्ध के लिए नहीं, बल्कि निवारण के लिए हैं। हाल ही में, भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह परमाणु ब्लैकमेल से नहीं डरेगा। ऑपरेशन सिंदूर दो परमाणु संपन्न देशों के बीच संघर्ष का एक उदाहरण है।