AIMIM की अनोखी पहल: बिहार में उम्मीदवारों को शपथ लेने का अनोखा तरीका

बिहार में AIMIM का नया नियम

बिहार में नामांकन से पहले शपथ लेंगे AIMIM के उम्मीदवार
बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने अपने उम्मीदवारों के लिए एक अनोखा नियम लागू किया है। पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों को खुदा या ईश्वर को साक्षी मानकर शपथ लेनी होगी कि वे पार्टी से कभी बगावत नहीं करेंगे। इस चुनाव के लिए एआईएमआईएम ने अपने उम्मीदवारों के सामने एक विशेष शर्त रखी है।
उम्मीदवारों को यह शपथ लेनी होगी कि वे एआईएमआईएम के सदस्य हैं और यदि पार्टी उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर देती है, तो वे पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे। इसके साथ ही, यदि उन्हें टिकट नहीं मिलता है, तो वे पार्टी के निर्णय का विरोध नहीं करेंगे और अधिकृत उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। यह शपथ खुदा या ईश्वर को साक्षी मानकर दो गवाहों के सामने ली जाएगी।
बगावत रोकने के लिए AIMIM का कदम
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एआईएमआईएम ने इस शपथ पत्र को लागू करने का निर्णय इसलिए लिया है ताकि पार्टी में टूट या बगावत को रोका जा सके। पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन चार विधायक बाद में पार्टी छोड़कर राजद में शामिल हो गए थे। इस घटना को ध्यान में रखते हुए, ओवैसी की पार्टी ने यह कदम उठाया है।
प्रदेश अध्यक्ष का बयान
एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा कि ईश्वर या अल्लाह के नाम से शपथ लेना सच्चाई का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि संविधान में इस बात का उल्लेख है कि जब किसी को जिम्मेदारी दी जाती है, तो उन्हें शपथ दिलाई जाती है।
शपथ लेने की प्रक्रिया को सरल बनाना
उन्होंने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि एआईएमआईएम के कार्यकर्ता चुनाव में भाग लें और हम उनके लिए दुआ करेंगे कि वे जीतें। जब वे पार्टी कार्यालय में अपनी दरखास्त देते हैं और शपथ लेते हैं, तो भविष्य में विधानसभा में शपथ लेने में उन्हें आसानी होगी। टीका टिप्पणी करने वालों के बारे में उन्होंने कहा कि हमारे धर्मगुरु जब संसद में गए थे, तो उन्होंने अल्लाह के नाम से हलफ लिया था। हलफ लेना गैर कानूनी नहीं है, बल्कि यह सच्चाई का प्रतीक है।