AICTE की नई पहल: डिफेंस टेक्नोलॉजी में माइनर डिग्री का मॉडल करिकुलम लॉन्च

AICTE की नई पहल

डिफेंस टेक्नोलॉजी के लिए AICTE की नई पहल
आत्मनिर्भर भारत मिशन को सशक्त बनाने के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी प्रोग्राम में डिफेंस टेक्नोलॉजी के लिए माइनर डिग्री का मॉडल करिकुलम पेश किया है। इसका उद्देश्य स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देना और रक्षा क्षेत्र के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करना है।
AICTE के अध्यक्ष टीजी सीताराम ने इस पाठ्यक्रम का अनावरण किया, जिसमें सदस्य सचिव श्यामा रथ, एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी, और अन्य रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल थे।
स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देने की दिशा में कदम
सीताराम ने इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “आत्मनिर्भर भारत की भावना और तकनीकी प्रगति के चलते, भारत रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इस संदर्भ में, डिफेंस टेक्नोलॉजी में कुशल और नवोन्मेषी प्रतिभाओं का विकास हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आवश्यक है।”
उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम छात्रों को एयरोनॉटिक्स, नेवल टेक्नोलॉजी, वेपन सिस्टम्स, साइबर सुरक्षा और उन्नत सामग्रियों में विशेषज्ञता हासिल करने का अवसर प्रदान करेगा, जो सशस्त्र बलों और रक्षा निर्माण उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप है।
विशेषज्ञों की सलाह से तैयार किया गया करिकुलम
जी सतीश रेड्डी ने कहा कि करिकुलम का ड्राफ्ट सशस्त्र बलों, उद्योग के विशेषज्ञों, डीआरडीओ और शैक्षणिक क्षेत्र के हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा के बाद तैयार किया गया है। उन्होंने कहा, “यह देश की रक्षा आवश्यकताओं और संभावनाओं के बीच संतुलन स्थापित करता है। इस माइनर डिग्री प्रोग्राम में छात्रों के लिए फील्ड विजिट, सेमिनार और व्यावहारिक अनुभव भी शामिल हैं।”
राजिंदर सिंह भाटिया, एसआईडीएम के प्रमुख, ने उद्योग की चिंताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उद्योग में कुशल मानव संसाधन की कमी लंबे समय से रक्षा उत्पादन में बाधा बनी हुई है। उन्होंने कहा कि यह पहल डिफेंस टेक्नोलॉजी और निर्माण प्रक्रियाओं पर विशेष पाठ्यक्रम प्रदान करके इस अंतर को समाप्त करेगी, जो अब तक उच्च शिक्षा में सीमित रहे हैं।