8वें वेतन आयोग की सिफारिशें: सरकार पर पड़ेगा भारी बोझ

केंद्र सरकार ने 8वें वित्त आयोग को मंजूरी दे दी है, जिससे कर्मचारियों की सैलरी में संभावित वृद्धि की चर्चा तेज हो गई है। अंबिट कैपिटल के अनुसार, नए वेतन ढांचे के लागू होने से 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों की सैलरी में 30-34% की वृद्धि हो सकती है। हालांकि, इससे सरकार पर 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। जानें इस बदलाव के आर्थिक प्रभाव और फिटमेंट फैक्टर के महत्व के बारे में।
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8वें वेतन आयोग की सिफारिशें: सरकार पर पड़ेगा भारी बोझ

8वें वित्त आयोग की मंजूरी और संभावित प्रभाव

केंद्र सरकार ने 8वें वित्त आयोग को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद इस पर चर्चा तेज हो गई है। 7वें वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में वृद्धि के बारे में कई अनुमान लगाए जा रहे हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि नए वित्त आयोग के तहत सैलरी में संशोधन करने से सरकार को बड़ा झटका लग सकता है? इसके चलते केंद्र सरकार पर 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।


सैलरी में संभावित वृद्धि

अंबिट कैपिटल के अनुसार, नए वेतन ढांचे के लागू होने से 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और रिटायर व्यक्तियों की सैलरी में 30-34% की वृद्धि हो सकती है। यदि यह बदलाव लागू होता है, तो यह 2026 या वित्तीय वर्ष 2027 से शुरू हो सकता है।


फिटमेंट फैक्टर का महत्व

8वें वेतन आयोग में सैलरी बढ़ाने का मुख्य आधार फिटमेंट फैक्टर होगा। इस बार यह 1.83 से 2.46 के बीच हो सकता है। इसका मतलब है कि वर्तमान में जो न्यूनतम सैलरी 18,000 रुपये है, वह 1.83 फिटमेंट फैक्टर पर 32,940 रुपये और 2.46 पर 44,280 रुपये तक बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है, तो वह 91,500 रुपये से लेकर 1.23 लाख रुपये तक हो सकती है। इसके साथ ही, महंगाई भत्ते (DA) को भी महंगाई के अनुसार समायोजित किया जाएगा।


आर्थिक विकास में योगदान

विशेषज्ञों का मानना है कि 8वां वेतन आयोग अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स की बढ़ी हुई सैलरी से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी। लोग स्वास्थ्य, आवास और मनोरंजन पर अधिक खर्च करेंगे, जिससे रिटेल, रियल एस्टेट और सेवा क्षेत्रों को लाभ होगा। हालांकि, सरकार के लिए यह आसान नहीं होगा, क्योंकि 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ वित्तीय घाटे को बढ़ा सकता है। सरकार को संतुलन बनाए रखना होगा ताकि अर्थव्यवस्था बढ़े और वित्तीय दबाव भी न बढ़े।