88 वर्षीय बुजुर्ग ने फल विक्रेता को दी अपनी सम्पत्ति, जानें कारण

एक 88 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी सम्पत्ति एक फल विक्रेता के नाम कर दी, जिससे उनके परिवार में हलचल मच गई। इस निर्णय के पीछे की कहानी जानकर लोग बुजुर्ग की सराहना कर रहे हैं। यह मामला शंघाई का है, जहां बुजुर्ग ने अपने अंतिम वर्षों में फल विक्रेता की देखभाल की थी। जानें इस अनोखे रिश्ते और अदालत के फैसले के बारे में।
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88 वर्षीय बुजुर्ग ने फल विक्रेता को दी अपनी सम्पत्ति, जानें कारण

बुजुर्ग का अनोखा फैसला


नई दिल्ली। एक 88 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी सम्पत्ति एक फल विक्रेता के नाम कर दी है, जिसकी कीमत 3.84 करोड़ रुपये से अधिक है। इस निर्णय ने उनके परिवार के सदस्यों को चौंका दिया, लेकिन जब इसके पीछे की वजह सामने आई, तो लोगों ने बुजुर्ग की सराहना की।


यह घटना चीन के शंघाई की है, जहां मा नामक व्यक्ति ने तीन साल पहले यह निर्णय लिया कि वह अपनी सम्पत्ति फल विक्रेता के नाम कर देंगे, जिनसे उनका कोई खून का रिश्ता नहीं है। उन्होंने यह सब अपनी वसीयत में दर्ज करवा दिया।


देखभाल का अनोखा रिश्ता

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, फल विक्रेता का नाम लियु है। मा ने अपनी सम्पत्ति लियु को इसलिए सौंपी क्योंकि उसने उनके अंतिम वर्षों में उनकी बहुत देखभाल की थी। कुछ साल पहले, लियु अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ मा के घर रहने आ गए और पूरे परिवार ने उनकी देखभाल की।


मा की मृत्यु के बाद, उनकी तीन बहनों ने लियु को बैंक अकाउंट सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि उन्हें अपने भाई की सम्पत्ति में अधिकार है। परेशान होकर, लियु ने अदालत का सहारा लिया।


अदालत का फैसला

मा की बहनों ने यह दावा किया कि उनके भाई ने 2020 में लियु के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें लिखा था कि लियु उनकी देखभाल करेगा और उनकी सम्पत्ति उसे मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मा की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।


हालांकि, नोटरी अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि बुजुर्ग की मानसिक स्थिति पूरी तरह से ठीक थी। इस महीने बाओशान डिस्ट्रिक्ट पीपल्स कोर्ट ने फैसला सुनाया कि समझौता वैध है और लियु को मा की सम्पत्ति दी जाए।


लियु का समर्पण

लियु मा के घर के पास फल बेचते हैं। एक दिन उनकी बातचीत हुई, जिसके बाद दोनों के बीच करीबी रिश्ता बन गया। मा के इकलौते बेटे की मानसिक बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी, और लियु ने ही उनकी देखभाल की।


मा के रिश्तेदार उनके अंतिम संस्कार में भी नहीं आए, जबकि लियु ने हर समय उनकी देखभाल की। इस कारण, मा ने अपनी सम्पत्ति लियु को सौंपने का निर्णय लिया। सोशल मीडिया पर लोग उनके इस निर्णय की प्रशंसा कर रहे हैं।