79 वर्षीय महिला को साइबर ठगी से 17 लाख रुपये की वापसी, पुलिस की तत्परता से मिली राहत

मंगलुरु में एक 79 वर्षीय महिला को 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर ठगी का शिकार बनाया गया, जिसमें उन्होंने 17 लाख रुपये खो दिए। लेकिन पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने उन्हें कुछ ही दिनों में पूरी राशि वापस दिला दी। यह घटना साइबर ठगी के मामलों में एक सकारात्मक उदाहरण है, जो दर्शाता है कि समय पर सूचना और पुलिस की सक्रियता से नुकसान को रोका जा सकता है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
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79 वर्षीय महिला को साइबर ठगी से 17 लाख रुपये की वापसी, पुलिस की तत्परता से मिली राहत

साइबर ठगी का मामला

साइबर धोखाधड़ी की खबरें: किसी भी देश में लूट का माल वापस मिलना एक असाधारण घटना है। जब यह लूट आपके बैंक खाते से होती है, तो यह और भी दिलचस्प बन जाती है। हाल ही में, भारत में एक बुजुर्ग महिला को ठगी की गई राशि वापस मिल गई है, जो कि 17 लाख रुपये है। मंगलुरु में 79 वर्षीय महिला को 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर ठगा गया, लेकिन पुलिस की त्वरित कार्रवाई से उन्हें कुछ ही दिनों में पूरी राशि वापस मिल गई। मंगलुरु के डीसीपी (कानून और व्यवस्था) मिथुन एचएन ने बताया कि पीड़ित महिला ने गोल्डन आवर के दौरान पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और ठग के बैंक खाते को फ्रीज कर दिया। चार दिनों के भीतर पीड़िता के खाते में 17 लाख रुपये की राशि वापस जमा कर दी गई।


घटना का विवरण

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 23 अक्टूबर को हुई जब बेजाई की निवासी बुजुर्ग महिला को एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। उसने धमकी दी कि यदि महिला ने वेरिफिकेशन के लिए 17 लाख रुपये दिए गए बैंक खाते में जमा नहीं किए, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। ठग ने यह भी कहा कि इस मामले को किसी से साझा न करें। ठग पुलिस की वर्दी में था और उसने व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए पीड़िता को पांच घंटे तक उलझाए रखा। चूंकि पीड़िता यूपीआई ऐप का उपयोग नहीं करती थीं, ठग ने उन्हें बैंक जाकर अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़ने और राशि ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।


पैसों की वापसी की प्रक्रिया

महिला ने ठग के निर्देशों का पालन करते हुए 17 लाख रुपये ठग के बताए खाते में ट्रांसफर कर दिए। बाद में उन्हें ठगी का अहसास हुआ और उन्होंने साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज की। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू की। ठग के बैंक खाते को फ्रीज कर दिया गया और कोर्ट के आदेश के बाद 27 अक्टूबर को पीड़िता के खाते में पूरी राशि वापस कर दी गई। डीसीपी मिथुन ने बताया कि पीड़िता की त्वरित शिकायत और पुलिस की तेज कार्रवाई के कारण यह संभव हो सका। यह घटना साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बीच एक सकारात्मक उदाहरण है, जो दर्शाता है कि समय पर सूचना और पुलिस की सक्रियता से नुकसान को रोका जा सकता है। नागरिकों से अपील की गई है कि वे ऐसे फर्जी कॉलों से सावधान रहें और तुरंत पुलिस से संपर्क करें।