78 वर्षीय बुजुर्ग को ऑनलाइन धोखाधड़ी में 4 लाख रुपये का नुकसान

एक 78 वर्षीय बुजुर्ग ने ऑनलाइन ट्रेन टिकट कैंसिल करने के प्रयास में धोखाधड़ी का शिकार होकर 4 लाख रुपये खो दिए। उन्होंने एक फर्जी वेबसाइट पर जाकर अपने बैंक डिटेल्स साझा कर दिए, जिसके बाद उनके फोन में वायरस इंस्टॉल कर दिया गया। जानें इस धोखाधड़ी की पूरी कहानी और इससे बचने के उपाय।
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78 वर्षीय बुजुर्ग को ऑनलाइन धोखाधड़ी में 4 लाख रुपये का नुकसान

धोखाधड़ी का शिकार


नई दिल्ली। एक 78 वर्षीय व्यक्ति को ट्रेन का टिकट ऑनलाइन कैंसिल करने के प्रयास में भारी नुकसान उठाना पड़ा। लंबी कतारों से बचने के लिए उन्होंने इंटरनेट पर टिकट कैंसिल करने का निर्णय लिया, लेकिन इस दौरान वह एक धोखाधड़ी का शिकार बन गए, जिससे उनके बैंक खाते से 4 लाख रुपये गायब हो गए। बुजुर्ग ने IRCTC की वेबसाइट खोजी, लेकिन गलती से एक फर्जी साइट पर पहुंच गए।


धोखाधड़ी की प्रक्रिया

रिपोर्टों के अनुसार, बुजुर्ग ने एक वेबसाइट का सहारा लिया, जहां एक व्यक्ति ने खुद को रेलवे का कर्मचारी बताते हुए उन्हें कॉल किया। उसने बुजुर्ग से हिंदी और अंग्रेजी बोलने की क्षमता पूछी और फिर टिकट कैंसिल करने के लिए निर्देश देने लगा।


धोखेबाजों ने बुजुर्ग को विश्वास दिलाया कि वे उनकी मदद कर रहे हैं। इसके बाद, बुजुर्ग ने उनके निर्देशों का पालन करना शुरू किया। अचानक, स्क्रीन पर एक नीला लोगो दिखाई दिया और उनके डिवाइस का नियंत्रण धोखेबाजों के हाथ में चला गया।


बैंक डिटेल्स की चोरी

कॉल के दौरान, बुजुर्ग ने अपनी बैंक जानकारी और एटीएम कार्ड नंबर साझा कर दिए। इसके बाद, धोखेबाजों ने उनके फोन में वायरस इंस्टॉल कर दिया और मोबाइल को रिमोट एक्सेस पर ले लिया। इससे उन्हें बैंक डिटेल्स, ओटीपी और अन्य संवेदनशील जानकारी तक पहुंच मिल गई।


धोखाधड़ी का पता लगाना

बुजुर्ग को तब पता चला जब उनके बैंक खाते से 4,05,919 रुपये की कटौती का संदेश आया। इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला कि धोखेबाज संभवतः बिहार या पश्चिम बंगाल से कॉल कर रहे थे। साइबर सेल ने बताया कि 'Rest Desk' नामक ऐप के माध्यम से धोखेबाजों ने बुजुर्ग के मोबाइल का नियंत्रण प्राप्त किया।


डिवाइस हैकिंग की प्रक्रिया

धोखेबाज आमतौर पर विभिन्न प्रकार के मैलवेयर को पीड़ित के डिवाइस में इंस्टॉल करते हैं, जिससे वे डिवाइस का नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं। इनमें से एक 'Remote Access Trojans (RAT)' है, जो धोखेबाजों को उपयोगकर्ता के सिस्टम पर नियंत्रण देता है। संभावना है कि बुजुर्ग के मोबाइल में भी RATs का उपयोग किया गया होगा। इसके अलावा, 'keyloggers' नामक उपकरण भी होता है, जो उपयोगकर्ता द्वारा दबाए गए बटन की जानकारी साझा करता है, जिससे धोखेबाज बैंक डिटेल्स और पासवर्ड चुरा लेते हैं।