31 दिसंबर को स्मॉल सेविंग स्कीम्स पर महत्वपूर्ण निर्णय, मिडिल क्लास की उम्मीदें
स्मॉल सेविंग स्कीम ब्याज दरों पर नजर
स्मॉल सेविंग स्कीम ब्याज दर
नए साल की शुरुआत से पहले, करोड़ों मिडिल क्लास परिवारों की निगाहें पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं पर हैं. इसका कारण यह है कि, 31 दिसंबर, 2025 को सरकार इन योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा करने वाली है, जिससे अगले 24 घंटों में यह स्पष्ट होगा कि जनवरी से ब्याज दरें बढ़ेंगी, घटेंगी या स्थिर रहेंगी.
पोस्ट ऑफिस की पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाएं मिडिल क्लास और रिटायर्ड व्यक्तियों के लिए सबसे विश्वसनीय निवेश विकल्प मानी जाती हैं. वर्तमान में SCSS और सुकन्या योजना पर 8.2% तक का ब्याज मिल रहा है, जबकि PPF में 7.1% रिटर्न है.
बैंक FD की दरों में कमी, स्मॉल सेविंग्स पर दबाव
2025 में RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद, अधिकांश बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें घटा दी हैं. महंगाई भी नियंत्रण में है, जिससे ब्याज दरों में कमी का दबाव बना हुआ है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या सरकार छोटी बचत योजनाओं की दरें भी घटा सकती है?
G-Sec यील्ड के संकेत
छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें निर्धारित करने में सरकारी बॉंड यानी G-Sec यील्ड एक महत्वपूर्ण मानक है. नियम के अनुसार, इन योजनाओं का ब्याज समान अवधि वाले सरकारी बॉंड की औसत यील्ड से थोड़ा अधिक होना चाहिए.
हालिया आंकड़ों के अनुसार, 10 साल के सरकारी बॉंड की औसत यील्ड लगभग 6.5% के आसपास रही है. इस फॉर्मूले के अनुसार, PPF जैसी योजनाओं का ब्याज वर्तमान दर से कम बनता है. तकनीकी रूप से यह दर कटौती का संकेत देती है, लेकिन सरकार के लिए इसे मानना आवश्यक नहीं है.
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सरकार की कटौती में देरी का कारण
पिछले अनुभव दर्शाते हैं कि सरकार केवल फॉर्मूले के आधार पर निर्णय नहीं लेती, करोड़ों सीनियर सिटिजन्स, पेंशनर्स और मिडिल क्लास परिवार अपनी दैनिक जरूरतों के लिए इन योजनाओं से मिलने वाले ब्याज पर निर्भर करते हैं. यदि दरें घटाई जाती हैं, तो उनकी आमदनी पर सीधा असर पड़ता है. इसीलिए सरकार अक्सर स्थिरता को प्राथमिकता देती है. पहले भी कई बार ऐसा हुआ है जब फॉर्मूला दर घटाने का संकेत दे रहा था, लेकिन सरकार ने ब्याज दरें स्थिर रखीं.
क्या इस बार राहत मिलेगी?
वर्तमान आर्थिक स्थिति मिश्रित है. कुछ क्षेत्रों में सुस्ती है, लेकिन देश की कुल आर्थिक वृद्धि अब भी मजबूत बनी हुई है. इसलिए सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि घरेलू बचत को कैसे सुरक्षित रखा जाए. अधिकांश संकेत बताते हैं कि इस बार भी छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है. सरकार चाहती है कि लोगों का भरोसा इन सुरक्षित योजनाओं पर बना रहे और वे जोखिम भरे निवेश की ओर न भागें.
