2026 में संभावित युद्ध: भारत-पाकिस्तान और ताइवान के हालात
2026 में युद्ध की आशंका
दुनिया के कई हिस्सों में यह चर्चा हो रही है कि 2026 का नया साल वैश्विक युद्ध का प्रतीक बन सकता है। सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव की आशंका क्यों बढ़ रही है।
अमेरिका के एक प्रमुख थिंक टैंक ने चेतावनी दी है कि अगले वर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावना है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के कारण यह टकराव हो सकता है। उदाहरण के लिए, पहलगाम जैसा हमला फिर से हो सकता है, जिससे युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस रिपोर्ट में दोनों देशों की सैन्य तैयारियों का भी उल्लेख किया गया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुए संघर्ष विराम के बाद से दोनों देशों ने हथियारों की खरीद में तेजी लाई है। भारत ने हाल ही में 79 हजार करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को मंजूरी दी है, जिसमें ड्रोन, एयर-टू-एयर मिसाइल और गाइडेड बम शामिल हैं।
वहीं, पाकिस्तान ने तुर्की और चीन से नए ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की बातचीत शुरू की है, ताकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सामने आई कमजोरियों को दूर किया जा सके। हालांकि, यदि एक बार फिर टकराव होता है, तो परिणाम वही होगा जो मई में हुआ था।
2026 में युद्ध की संभावनाएं ताइवान से भी जुड़ी हुई हैं। हाल के दिनों में चीन ने ताइवान के चारों ओर घेराबंदी की है, जिससे यह संकेत मिलता है कि चीन की सेना किसी सैन्य ड्रिल के बहाने ताइवान पर हमला कर सकती है।
चीन ने 28 दिसंबर 2025 को 'जस्टिस मिशन 2025' नामक एक विशाल सैन्य ड्रिल शुरू की है, जिसमें नेवी, एयर फोर्स, आर्मी और रॉकेट फोर्स शामिल हैं। इस ड्रिल के दौरान चीन ने ताइवान के प्रमुख बंदरगाहों को घेरने की प्रैक्टिस की है।
चीन की इस सैन्य गतिविधि ने केवल ताइवान को ही नहीं, बल्कि अमेरिका और जापान को भी चेतावनी दी है कि वे ताइवान में किसी भी बाहरी मदद को नहीं पहुंचने देंगे।
चीन और ताइवान के बीच संभावित युद्ध को लेकर विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2026 में ताइवान स्ट्रेट में युद्ध की संभावना 50% है। यह संकट चीन की बढ़ती सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक दबाव के कारण उत्पन्न हो सकता है।
एक प्रसिद्ध कथन है, 'जो व्यक्ति सबसे आक्रामक है, अगर वही सहिष्णुता सिखाए तो क्या कहा जाए।' एक तरफ, डोनाल्ड ट्रंप ताइवान को 11 बिलियन डॉलर के हथियार भेज रहे हैं, दूसरी तरफ वे रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने का प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि, ट्रंप का युद्धविराम का प्रयास विफल होता दिख रहा है। 2025 के अंत में, यूक्रेन ने रूस पर ड्रोन हमला किया, जिसमें 91 आत्मघाती ड्रोन शामिल थे। यह हमला पुतिन के आधिकारिक आवास पर किया गया था।
रूस ने स्पष्ट किया है कि इस हमले का जवाब दिया जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब रूसी मिसाइलों का निशाना जेलेंस्की होंगे। क्या नए साल की शुरुआत यूक्रेन की तबाही से होगी? यह स्थिति बेहद गंभीर है।
यदि ट्रंप इसे अच्छा नहीं मानते हैं, तो यह संकेत है कि मामला गंभीर हो गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि 2026 में रूस का जवाबी हमला यूक्रेन के यूरोपीय मित्रों को भी प्रभावित कर सकता है।
दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां शांति की बातें केवल दिखावा हैं। युद्धविराम केवल एक धोखा है। 2025 में वैश्विक संघर्षों की संख्या में 20% की वृद्धि हुई है, और आने वाला साल महायुद्ध का प्रतीक बन सकता है।
जो ट्रंप युद्धविराम का श्रेय लेने के लिए आगे खड़े होते हैं, वे खुद एक फ्रंट पर हमलावर हैं। 2026 में एक युद्ध खुद ट्रंप शुरू करने वाले हैं, जिसमें वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो उनके खिलाफ खड़े हैं। अमेरिका ने वेनेजुएला के कई समुद्री जहाजों पर हमले किए हैं।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने वेनेजुएला के तटीय इलाके में एक बंदरगाह पर ड्रोन स्ट्राइक की है। यह पहला ज्ञात अमेरिकी हमला है जो वेनेजुएला की जमीन पर हुआ है। वेनेजुएला ने इसे एक्ट ऑफ वॉर करार दिया है और पलटवार के लिए तैयार है।
