दुनियाभर में मशहूर सीतापुर की कारीगरी, दो मीटर कपड़े पर कढ़ाई में लगते हैं 10 घंटे

ग्रेटर नोएडा, 26 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो में प्रदेश भर के अलग-अलग जिलों से कलाकार और कारीगर पहुंचे हुए हैं, जो अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से एक सीतापुर की जरी जरदारी पूरी दुनिया में मशहूर है। सीतापुर के बाजारों के कपड़ों पर कढाई करके खूबसूरत साड़ी, सूट आपको हर जगह मिल जाएंगे। इसकी एक झलक इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में देखने को मिली है।
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दुनियाभर में मशहूर सीतापुर की कारीगरी, दो मीटर कपड़े पर कढ़ाई में लगते हैं 10 घंटे

ग्रेटर नोएडा, 26 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो में प्रदेश भर के अलग-अलग जिलों से कलाकार और कारीगर पहुंचे हुए हैं, जो अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से एक सीतापुर की जरी जरदारी पूरी दुनिया में मशहूर है। सीतापुर के बाजारों के कपड़ों पर कढाई करके खूबसूरत साड़ी, सूट आपको हर जगह मिल जाएंगे। इसकी एक झलक इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में देखने को मिली है।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर के सिधौली गांव से आए राम किशन और मंजू यहां चमक-दमक से दूर एक स्टॉल पर कपड़े पर कढ़ाई करने में मशगूल दिखे। पति-पत्नी दोनों करीब 20 साल से कपड़ों पर कढ़ाई कर परिवार पाल रहे हैं। वे इस काम से खुश हैं। लेकिन, बिचौलिया उनकी मेहतन का आधा हिस्सा ले जाता है। राम किशन जिस कपड़े पर कढ़ाई कर रहे हैं। वो काफी बारीक काम है। जरा सी गलती भारी पड़ सकती है। कपड़ों पर कढ़ाई करते समय वो बात भी नहीं करते।

उन्होंने बताया कि महज 2 मीटर कपड़े की कढ़ाई में करीब 10 घंटे तक का समय लग सकता है। उनको ऑर्डर बिचौलिया लाकर देते हैं। उस ऑर्डर पर काम करते हैं और बिचौलिया उनको उनकी मेहतन का पैसा देता है। इस कपड़े को जैजेट कहते हैं। हालांकि, ये कढ़ाई किसी भी प्रकार के कपड़े पर हो सकती है। सुई से एक-एक दाने को कपड़े पर बांधा जाता है। मंजू कपड़े को फ्रेम में पकड़ती है और राम किशन सिलाई करते हैं।

मंजू ने बताया कि अगर वो 5 हजार का काम करते हैं तो उसमें उनको 1,000 या 700 रुपए मिल पाता है। उन्होंने सरकार और उनकी योजनाओं का धन्यवाद किया। यह भी कहा कि बिचौलिया की बजाए सीधे उनको ऑर्डर मिले तो गुजर-बसर और बेहतर हो सकता है। जिस जैजट के कपड़े पर मंजू और राम किशन कढ़ाई कर रहे हैं। वो सिर्फ दो मीटर का है।

उनका मानना है कि इसका ऑर्डर उन्हें मिला। यहां सरकार के कहने पर आए हैं। यहीं पर अपना ऑर्डर भी पूरा कर रहे हैं। करीब 24 घंटे और लग जाएगा, इस कपड़े को पूरी तरह से ढालने में। इसमें जो दाना लगाया जा रहा है, उसे करदाना बोला जाता है। उन्होंने बताया कि कच्चा माल बिचौलिया ही लाकर देता है। हम इसे अपनी मेहनत से सुंदर बनाते है।

मंजू ने बताया कि उनके जैसे कई और भी कारीगर हैं, जो जरदारी करते हैं। हम सभी ऑर्डर के लिए बिचौलियों पर ही निर्भर हैं। हालांकि, सरकार ने हमें काफी सम्मान दिया। हमें यहां बुलाया और प्रोत्साहन दिया। यहां से कई लोग हमारा नंबर लेकर गए। हमें उम्मीद है, अब हमें सीधे ऑर्डर मिलेगा। जिससे आमदनी अच्छी होगी।

--आईएएनएस

पीकेटी/एबीएम