1990 के दशक की इन्फोसिस कैंटीन का वीडियो वायरल, टेक रेवोल्यूशन की याद दिलाता है

1990 के दशक में बेंगलुरु की इन्फोसिस कैंटीन का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में युवा कर्मचारी लंच के दौरान हंसते-मुस्कुराते नजर आ रहे हैं, जो भारत की टेक क्रांति का हिस्सा बनने जा रहे थे। वीडियो ने पूर्व आईटी कर्मचारियों और उद्योग से जुड़े लोगों के बीच गहरा भावनात्मक जुड़ाव पैदा किया है। क्या आने वाली पीढ़ियां भी वैसी ही ऊर्जा और दूरदृष्टि के साथ आगे बढ़ेंगी? जानें इस वीडियो के बारे में और भी दिलचस्प बातें।
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1990 के दशक की इन्फोसिस कैंटीन का वीडियो वायरल, टेक रेवोल्यूशन की याद दिलाता है

ब्रेक टाइम की यादें

कैंपसों में पहले ब्रेक के दौरान सहकर्मियों के साथ बातचीत और हंसी-मजाक का आनंद लिया जाता था, लेकिन अब का माहौल काफी बदल चुका है। आजकल, अधिकांश कर्मचारी ब्रेक रूम में एक-दूसरे से बातचीत करने के बजाय अपने मोबाइल फोन में व्यस्त रहते हैं।


पुराना वीडियो वायरल

हाल ही में, 1990 के दशक में बेंगलुरु स्थित इन्फोसिस कैंटीन का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। इस वीडियो में युवा कर्मचारी लंच के दौरान हंसते-मुस्कुराते नजर आ रहे हैं, जैसे उन्हें यह नहीं पता कि वे भारत की टेक क्रांति का हिस्सा बनने जा रहे हैं। वीडियो का कैप्शन है— “1990s में इन्फोसिस कैंटीन की झलक। यहां दिख रहे लोग आज शायद करोड़पति बन चुके हैं और विदेशों में बस गए हैं।”


भावनात्मक जुड़ाव

हालांकि इस फुटेज की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह वीडियो खासकर पूर्व आईटी कर्मचारियों और उद्योग से जुड़े लोगों के बीच गहरा भावनात्मक जुड़ाव पैदा कर रहा है। अब तक इस क्लिप को चार मिलियन से अधिक लोग देख चुके हैं और लोग बीते समय की सादगी और उम्मीदों को याद करते हुए प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।


इन्फोसिस का इतिहास

यह ध्यान देने योग्य है कि 1981 में एन.आर. नारायण मूर्ति और उनके छह सह-संस्थापकों ने इन्फोसिस की स्थापना की थी। इन्फोसिस उन शुरुआती कंपनियों में से एक रही है जिसने एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन का मॉडल अपनाया, जिससे हजारों कर्मचारियों को पहली बार नौकरी से करोड़पति बनने का अवसर मिला। कंपनी का आधिकारिक बयान है कि उसने 40 वर्षों में भारत को वैश्विक सॉफ्टवेयर सेवा केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उसका ग्लोबल डिलीवरी मॉडल एक मील का पत्थर माना जाता है।


सोशल मीडिया पर चर्चा

सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो को “टेक रेवोल्यूशन की जन्मस्थली की झलक” बता रहे हैं, और यह बहस फिर से शुरू हो गई है कि क्या आने वाली पीढ़ियां भी वैसी ही ऊर्जा, सरलता और दूरदृष्टि के साथ आगे बढ़ रही हैं, जैसी कभी बेंगलुरु के कैंपसों में देखने को मिलती थीं।