19 वर्षीय दिव्या देशमुख: शतरंज की दुनिया में एक नई सितारा

दिव्या देशमुख, 19 वर्षीय शतरंज की प्रतिभा, ने हाल ही में महिला शतरंज विश्व कप जीतकर इतिहास रचा है। नागपुर में जन्मी इस युवा खिलाड़ी ने कई शीर्ष खिलाड़ियों को हराया है और ओलंपियाड में भी स्वर्ण पदक जीते हैं। उनकी उपलब्धियों में U20 विश्व चैंपियनशिप और विश्व रैपिड चैंपियनशिप में जीत शामिल हैं। दिव्या का साहसी खेल और मेहनत उन्हें शतरंज की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान दिला रही है। जानें उनके भविष्य की संभावनाओं के बारे में।
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19 वर्षीय दिव्या देशमुख: शतरंज की दुनिया में एक नई सितारा

बड़ी मंच के लिए जन्मी ग्रैंडमास्टर

19 वर्षीय दिव्या देशमुख, जो शतरंज की दुनिया में एक नई और साहसी ताकत के रूप में उभर रही हैं, ने हाल ही में 2025 की महिला शतरंज विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया। नागपुर में जन्मी इस प्रतिभा ने कई शीर्ष खिलाड़ियों को हराया, जिसमें झू जिनेर, हरिका द्रोणावली और तान झोंगयी शामिल हैं, और अंततः प्रसिद्ध कोनेरू हम्पी को रोमांचक टाईब्रेक में हराया।


ओलंपियाड में डबल गोल्ड: 2024 की उपलब्धियाँ

दिव्या की सफलता केवल व्यक्तिगत प्रतियोगिताओं तक सीमित नहीं है। 2024 में, उन्होंने 45वें शतरंज ओलंपियाड में भारत की टीम के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उन्होंने बोर्ड 3 पर 9.5/11 अंक प्राप्त किए। उनकी प्रदर्शन रेटिंग 2608 थी, जिसने उन्हें व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दिलाया।


युवाओं की चैंपियन से U20 विश्व चैंपियन तक

2024 में, दिव्या ने विश्व U20 शतरंज चैंपियनशिप जीती, जिससे वह ऐसा करने वाली चौथी भारतीय महिला बनीं। अंतिम राउंड में, उन्होंने बुल्गारिया की बेलोस्लावा क्रास्टेवा को हराकर 10 अंक के साथ खिताब अपने नाम किया।


बड़ी जीतें, बड़े नाम

2025 में, लंदन में विश्व रैपिड और ब्लिट्ज टीम शतरंज चैंपियनशिप के दौरान, दिव्या ने विश्व की नंबर 1 महिला शतरंज खिलाड़ी हौ यिफान को हराकर एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की। यह उनकी टीम को कांस्य पदक दिलाने में मददगार साबित हुआ।


गुकेश के खिलाफ 103-मूव क्लासिक

फिडे ग्रैंड स्विस 2025 में, दिव्या ने विश्व चैंपियन गुकेश डोम्माराजू के खिलाफ 103 चालों में ड्रॉ खेला। यह मैच उनकी गहरी सोच और नियंत्रण को दर्शाता है।


एक सितारा जो अभी भी उभर रहा है

दिव्या देशमुख ने केवल 19 वर्ष की आयु में कई महत्वपूर्ण खिताब जीते हैं, लेकिन उनकी पहचान केवल पदकों तक सीमित नहीं है। उनका साहसी खेल, मेहनत और विश्वास उन्हें सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बीच खड़ा करता है।