17 साल बाद जिंदा मिले नथुनी: हत्या के आरोपियों की सजा पर उठे सवाल

बिहार के रोहतास में चौंकाने वाली घटना
बिहार के रोहतास जिले से एक अनोखी घटना सामने आई है, जिसने पुलिस को भी चौंका दिया है। यहां एक व्यक्ति, जिसकी हत्या के मामले में उसके चचेरे भाइयों को जेल की सजा हुई थी, वह 17 साल बाद जिंदा पाया गया।
यह मामला तब शुरू हुआ जब 17 सितंबर 2008 को नथुनी अचानक गायब हो गया। उसके मामा बाबूलाल पाल ने आरोप लगाया कि उसके चाचा और उनके बेटों ने उसका अपहरण कर हत्या कर दी। इस मामले में विमलेश, भगवान, और सतेंद्र को 7-8 महीने जेल में बिताने पड़े।
रोहतास पुलिस के अनुसार, नथुनी को उत्तर प्रदेश के झांसी में बरुआसागर थाने के अंतर्गत धवारा गांव में पाया गया। अकोढ़ी गोला थाना के अध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि नथुनी को वापस लाने के लिए एक टीम भेजी गई है।
नथुनी पाल, जो 50 वर्ष का है, पिछले छह महीनों से झांसी के एक किसान धर्मदास अहिरवार के साथ रह रहा था। सोमवार को बरुआसागर थाने के धमना चौकी प्रभारी नवाब सिंह ने उसे संदिग्ध स्थिति में देखा और पूछताछ के बाद बिहार के अकोढ़ी गोला थाने से संपर्क किया।
बिहार पुलिस ने बताया कि नथुनी 17 सितंबर 2008 से लापता था और उसके लापता होने के बाद उसके मामा ने चाचा रती पाल और उनके चार बेटों पर हत्या का आरोप लगाया था। इन सभी को गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल में रहना पड़ा। इस घटना के बाद चचेरे भाइयों का परिवार कानूनी परेशानियों में उलझ गया।
नथुनी के जिंदा मिलने की खबर सुनकर उसके चचेरे भाई झांसी पहुंचे और भावुक होकर रोने लगे। उन्होंने कहा, 'हमने जेल की सजा भुगती और हमारे पिता ने इस घटना के दुख में जान गंवा दी।' बरुआसागर थाना प्रभारी शिवजीत सिंह राजावत ने पुष्टि की कि नथुनी को झांसी से बरामद कर लिया गया है।
नथुनी के पिता रामचंद्र पाल की मृत्यु के बाद उसकी देखभाल चाचा रती पाल ने की थी। लेकिन 2008 में उसके लापता होने के बाद परिवार में तनाव आ गया।
17 साल बाद नथुनी का जिंदा मिलना कई सवाल खड़े करता है। उसने इतने वर्षों तक अपने परिवार से संपर्क क्यों नहीं किया? क्या वह अपनी मर्जी से लापता हुआ था? पुलिस अब इन सवालों के जवाब खोजने में जुटी है। यह घटना न केवल रोहतास जिले में बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई है।