14 जनवरी 2026: मकर संक्रांति के साथ मनाए जाने वाले चार प्रमुख त्योहार
14 जनवरी के त्योहार
14 जनवरी के त्योहार
14 जनवरी के त्योहार: मकर संक्रांति वह दिन है जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन विशेष महत्व रखता है और इसे संक्रांति के पर्व के रूप में मनाया जाता है। सनातन धर्म में इस दिन सूर्य की पूजा और स्नान-दान को पुण्यदायी माना जाता है। हर साल भारत में 14 या 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और इसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है। लोग इस दिन पतंग उड़ाते हैं और खिचड़ी खाने की परंपरा भी होती है। इस बार मकर संक्रांति के साथ चार अन्य बड़े त्योहार भी मनाए जाएंगे। आइए जानते हैं ये त्योहार कौन से हैं और उनकी परंपराएं क्या हैं?
मकर संक्रांति 2026
पंचांग के अनुसार, 2026 में सूर्य देव 14 जनवरी, बुधवार को दोपहर 03:13 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस समय मकर संक्रांति का क्षण होगा। इसलिए, 2026 की मकर संक्रांति 14 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी।
पोंगल 2026
मकर संक्रांति के दिन पोंगल का त्योहार भी मनाया जाएगा, जो दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्व है। यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। उत्तर भारत में मकर संक्रांति के समान, दक्षिण भारत में पोंगल का पर्व मनाया जाता है। यह किसानों का त्योहार है और तमिलनाडू में नए साल की शुरुआत इसी दिन होती है। यह चार दिनों तक चलता है, जिसमें भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कन्नम पोंगल शामिल हैं।
पोंगल कैसे मनाते हैं?
भोगी पोंगल के पहले दिन सुबह स्नान के बाद भगवान इंद्र की पूजा की जाती है। घर की सफाई की जाती है और इसे चावल के सफेद पेस्ट से सजाया जाता है। लोग आंगन और मुख्य द्वार पर कोलम बनाते हैं। शाम को लोग भोगी कोट्टम बजाते हैं और लोकगीत गाते हैं। फिर एक-दूसरे को भोगी पोंगल की शुभकामनाएं दी जाती हैं।
उत्तरायण और उसकी परंपरा
उत्तरायण का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा, जो गुजरात में मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से मनाया जाता है। यह दो दिन का पर्व है, जिसमें 14 जनवरी को उत्तरायण और 15 जनवरी को वासी उत्तरायण मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा, पवित्र नदियों में स्नान और पतंगबाजी की जाती है।
मकरविलक्कु उत्सव और उसकी परंपरा
मकरविलक्कु केरल का एक प्रसिद्ध वार्षिक उत्सव है, जो मकर संक्रांति के दिन सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर में मनाया जाता है। इसमें पोन्नम्बलमेडु पहाड़ी पर ‘मकरज्योति’ के दर्शन किए जाते हैं। यह उत्सव सात दिनों तक चलता है और इसमें भगवान अयप्पा की विशेष पूजा की जाती है।
षटतिला एकादशी 2026
2026 में मकर संक्रांति के दिन ही षटतिला एकादशी का व्रत है। यह संयोग 23 वर्षों के बाद बन रहा है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन के कष्ट समाप्त होने की मान्यता है।
ये भी पढ़ें: Panch Tatva Human Body: मानव शरीर में कौन से हैं पांच महाभूत, जिनके बारे में क्या जानते हैं आप
