11 वर्षों से MBBS फर्स्ट ईयर में फंसा छात्र, NMC नियमों पर उठे सवाल
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज का अनोखा मामला
बीआरडी मेडिकल कॉलेज
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक छात्र पिछले 11 वर्षों से एमबीबीएस के पहले वर्ष में फंसा हुआ है। उसने 2014 में दाखिला लिया था, लेकिन अब तक वह पहले साल की परीक्षा पास नहीं कर सका। न तो वह नियमित रूप से परीक्षा में भाग ले रहा है और न ही कॉलेज या हॉस्टल छोड़ने को तैयार है। इस स्थिति ने कॉलेज प्रशासन को दुविधा में डाल दिया है और अन्य छात्रों के लिए भी समस्या उत्पन्न कर रही है।
11 साल से फंसा छात्र
यह छात्र आजमगढ़ का निवासी है और उसके पिता पुलिस में दरोगा हैं। उसने सीपीएमटी परीक्षा के माध्यम से अनुसूचित जाति (एससी) कोटे से एमबीबीएस में प्रवेश लिया था। दाखिले के बाद, उसने केवल एक बार पहले वर्ष की परीक्षा दी, जिसमें वह सभी विषयों में असफल रहा। इसके बाद से वह परीक्षाओं से दूर रहने लगा।
कॉलेज के शिक्षक और प्रशासन ने उसे पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के कई प्रयास किए, जिसमें विशेष कक्षाएं और मार्गदर्शन शामिल था, लेकिन छात्र ने सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया। वह न तो कक्षाओं में नियमित रूप से शामिल हुआ और न ही परीक्षा देने के लिए तैयार हुआ।
हॉस्टल में रहने की समस्या
छात्र लगातार कॉलेज के हॉस्टल में रह रहा है, जिससे अन्य छात्रों को कठिनाई हो रही है। हॉस्टल वार्डन ने इस मुद्दे पर छह बार कॉलेज प्रशासन को पत्र लिखा है, जिसमें बताया गया है कि छात्र की उपस्थिति से अनुशासन और व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इसके बावजूद, अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल के अनुसार, छात्र अपने बैच के अन्य छात्रों से बहुत पीछे है। प्रशासन ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) के नियमों के अनुसार, कॉलेजों को छात्रों के लिए हॉस्टल की सुविधा प्रदान करना आवश्यक है, लेकिन किसी फेल छात्र को अनिश्चितकाल तक हॉस्टल में रखना नियमों के खिलाफ है। कॉलेज ने छात्र के अभिभावकों से भी संपर्क किया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में एनएमसी को सूचित कर उचित कार्रवाई करना आवश्यक है।
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