हाईकोर्ट का फैसला: पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकार

हाल ही में एक हाईकोर्ट के फैसले ने पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकारों को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि शादी के समय दहेज देने से बेटियों का संपत्ति पर अधिकार समाप्त नहीं होता। इस मामले में चार बहनों और भाइयों के बीच संपत्ति के अधिकारों को लेकर विवाद था। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और हाईकोर्ट के निर्णय के पीछे की कानूनी बातें।
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हाईकोर्ट का फैसला: पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकार

पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकार


हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामला हाईकोर्ट में आया है, जिसमें पिता की संपत्ति पर भाई-बहनों के अधिकारों पर चर्चा की गई। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि पिता अपनी बेटी को शादी के समय दहेज देते हैं, तो इसका उसके संपत्ति के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।


इस लेख में हम आपको इस मामले के बारे में विस्तार से बताएंगे।



मामले का सारांश-


यह मामला चार बहनों और चार भाइयों के बीच संपत्ति के अधिकारों को लेकर विवाद से संबंधित है। बड़ी बहन ने याचिका दायर की थी, जिसमें उसके दिवंगत पिता द्वारा संपत्ति का उत्तराधिकार देने का उल्लेख था।


याचिका में एक अन्य डीड का भी जिक्र था, जिसमें मां ने एक दुकान को भाइयों के नाम ट्रांसफर किया था। बड़ी बहन ने इस ट्रांसफर को रद्द करने की मांग की थी।



भाइयों के तर्क-


भाइयों ने कहा कि सभी बहनों को शादी के समय दहेज दिया गया था, इसलिए उनका संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। यह मामला पहले ट्रायल कोर्ट में गया, जहां से यह हाईकोर्ट तक पहुंचा।


ट्रायल कोर्ट का निर्णय-


ट्रायल कोर्ट ने बहन के दावे को खारिज कर दिया और संपत्ति पर बेटों का अधिकार स्थापित किया। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि दहेज देने से बेटी का संपत्ति का अधिकार समाप्त नहीं होता।


हाईकोर्ट की टिप्पणी-


कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने डीड ट्रांसफर के चार साल बाद मुकदमा दायर किया था। भाइयों ने यह साबित नहीं किया कि बहन को ट्रांसफर के बारे में पहले से जानकारी थी।


हाईकोर्ट का निर्णय-


कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के ट्रांसफर को रद्द करने की अवधि तीन साल है। यदि किसी को ट्रांसफर की जानकारी नहीं है, तो वह इसे रद्द कर सकता है।


कानूनी प्रावधान-


कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के ट्रांसफर के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक है। यदि संपत्ति का ट्रांसफर बिना सहमति के किया गया है, तो यह अवैध है।


पैतृक संपत्ति के अधिकार-


भारत में बेटियों को पिता की संपत्ति में समान अधिकार हैं, जैसा कि 2005 में कानून में संशोधन के बाद निर्धारित किया गया था।


भाई-बहन के अधिकार-


दिल्ली के एक वकील के अनुसार, 20 दिसंबर 2004 से पहले संपत्ति का बंटवारा होने पर बेटियों का कोई अधिकार नहीं होता।


पैतृक संपत्ति की परिभाषा-


पैतृक संपत्ति वह होती है जो किसी व्यक्ति को अपने पूर्वजों से मिलती है। इस संपत्ति पर सभी बच्चों का समान अधिकार होता है।


बेटियों के अधिकार-


बेटियों को पिता की संपत्ति पर अधिकार तब मिलता है जब पिता की मृत्यु हो जाती है।


बेटियों के अधिकारों का त्याग-


यदि कोई बेटी अपने अधिकार का त्याग कर देती है, तो वह बाद में संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती।