श्री आनंदपुर साहिब में 350वें शहीदी दिवस का भव्य समागम
विशेष धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन
इस वर्ष श्री आनंदपुर साहिब में एक महत्वपूर्ण धार्मिक समागम का आयोजन किया जा रहा है, जिसे पंजाब में श्रद्धा और गर्व के साथ देखा जा रहा है। पंजाब सरकार ने श्री गुरु तेग बहादुर जी, भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दयाला जी के 350वें शहीदी दिवस को मनाने के लिए तीन दिवसीय विशेष कार्यक्रम की योजना बनाई है। यह समागम 23 से 25 नवंबर 2025 तक चलेगा, और इसका हर क्षण सिख इतिहास, मानवता और बलिदान की उस धरोहर से जुड़ा होगा, जिस पर पूरा पंजाब गर्व करता है.
आध्यात्मिक वातावरण में कार्यक्रम की शुरुआत
23 नवंबर को इस कार्यक्रम की शुरुआत एक गहन आध्यात्मिक माहौल में होगी। मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान और राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति में सुबह अखंड पाठ का आरंभ होगा। यह सिख परंपरा में श्रद्धा और सेवा की भावना को दर्शाता है। इसके बाद गुरु तेग बहादुर जी के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जाएगा.
सर्व धर्म सम्मेलन और भाईचारे का संदेश
23 नवंबर को सुबह 11 बजे सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन होगा, जिसमें विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग एकता, भाईचारे और मानवाधिकारों पर अपने विचार साझा करेंगे। यह सम्मेलन यह दर्शाता है कि सिख इतिहास केवल सिख समुदाय का नहीं, बल्कि पूरी मानवता का संदेश है, जिसमें दूसरों की रक्षा करना, सत्य के लिए खड़ा होना और सभी मतों का सम्मान करना शामिल है.
विरासत-ए-खालसा का गाइडेड टूर
शाम को विरासत-ए-खालसा और अन्य महत्वपूर्ण स्मारकों का गाइडेड टूर आयोजित किया जाएगा, जिससे लोग अपनी जड़ों और परंपराओं को करीब से जान सकें। रात में होने वाला ड्रोन शो इस कार्यक्रम की भव्यता को और बढ़ाएगा, जिसमें गुरु साहिबान की शहादत और खालसा पंथ की विरासत को आधुनिक तरीके से प्रदर्शित किया जाएगा.
श्रद्धा और उत्साह का माहौल
तीन दिनों तक कथा, कीर्तन, भक्ति, संगत और सेवा का ऐसा वातावरण बनेगा कि हर व्यक्ति अपने दिल में गुरु साहिबानों के प्रति और अधिक सम्मान लेकर जाएगा। लोगों में इस समागम को लेकर गहरी श्रद्धा है। सभी का मानना है कि पंजाब सरकार ने इस आयोजन को भव्यता और सम्मान के साथ मनाकर पूरे पंजाब की भावनाओं को सही मायनों में सम्मान दिया है.
इतिहास और संस्कृति का जश्न
यह समागम केवल इतिहास को याद करने का अवसर नहीं है, बल्कि उस सोच को अपनाने का मौका है, जिसके कारण सिख धर्म को साहस, बलिदान और मानवता का प्रतीक माना जाता है। यह तीन दिवसीय समागम पंजाब की आत्मा, शान और विरासत का जीवंत रूप है, और हर पंजाबी के लिए गर्व की बात है.
