लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल का निर्माण, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन
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लखनऊ में 'राष्ट्र प्रेरणा स्थल' का निर्माण किया गया है, जिसका उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों में राष्ट्रवाद की भावना को जागृत करना है। यह स्थल देशभर में राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करने वाला एक अद्वितीय केंद्र बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को यहां डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं. दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की भव्य कांस्य प्रतिमाओं का अनावरण करेंगे।
इन प्रतिमाओं की ऊंचाई 65 फुट और वजन 32 टन है, और इन्हें राज्य ललित कला अकादमी द्वारा तैयार किया गया है। इनका सौंदर्यीकरण फसाड लाइटिंग और प्रोजेक्शन मैपिंग के माध्यम से किया गया है।
कांस्य प्रतिमाओं का निर्माण
कांस्य प्रतिमाएं 65 फुट ऊंची और 32 टन वजनी
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने वसंत कुंज में 65 एकड़ क्षेत्र में राष्ट्र प्रेरणा स्थल का निर्माण किया है। इन प्रतिमाओं में 85 प्रतिशत तांबा और 5-5 प्रतिशत सीसा, टिन और जस्ते का मिश्रण शामिल है। प्रोजेक्शन मैपिंग के जरिए मूर्तियों के कपड़ों का रंग समय के साथ बदलने की सुविधा भी होगी। मूर्तियों के चारों ओर फव्वारे और स्टेज का निर्माण भी किया गया है।
म्यूजियम का निर्माण
म्यूजियम का भी होगा निर्माण
इस स्थल पर राष्ट्र नायकों के प्रेरणादायक जीवन को प्रदर्शित करने के लिए एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा। इसमें पांच गैलरियों में तीनों राष्ट्र नायकों के जीवन संदेश वीडियो के माध्यम से दिखाए जाएंगे। इसके साथ ही उनके उपयोग किए गए सामान, फोटो, जीवन वृत्त और सिलिकॉन मूर्तियों के जरिए उनके योगदान को जीवंत किया जाएगा। यह स्थल न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा, बल्कि स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए शैक्षिक यात्राओं का आदर्श स्थल भी होगा।
प्रतिमाओं के निर्माण में निवेश
पं. दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की कांस्य प्रतिमाओं के निर्माण के लिए लगभग 21 करोड़ रुपये का बजट एलडीए द्वारा आवंटित किया गया है। पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का निर्माण प्रसिद्ध राम सुतार आर्ट क्रियेशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया है, जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का भी निर्माण किया था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमाओं का निर्माण माटू राम आर्ट्स प्रा. लि. ने किया है। ये प्रतिमाएं न केवल कलात्मक उत्कृष्टता का प्रतीक हैं, बल्कि राष्ट्रवाद और एकता की भावना को भी बढ़ावा देंगी।
